रांची: राज्य के अंगीभूत कॉलेजों के ए टू एकाउंट का ऑडिट होगा. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. खाते का ऑडिट एजी से कराया जायेगा. राज्य के 57 अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई होती है. इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों से लिये जाने वाले शुल्क के लिए कॉलेजों में ए टू एकाउंट का संचालन किया जाता है.
इस एकाउंट का वर्षो से ऑडिट नहीं हुआ है. ए टू एकाउंट से कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई का खर्च का वहन किया जाता है. कॉलेजों को खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने का निर्देश भी दिया गया है. पर अधिकांश कॉलेज समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं करते. कई कॉलेजों द्वारा खर्च की गयी पूरी राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है. इसके कारण काउंसिल द्वारा समय-समय पर कॉलेजों द्वारा राशि निकासी पर रोक लगाये जाने का मामला प्रकाश में आया है. ऑडिट होने से राशि की उपयोगिता की विस्तृत जानकारी मिल सकेगी.
इंटर पढ़ाई बंद करने का पत्र
कॉलेजों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने की स्थिति में जैक द्वारा राशि निकासी की अनुमति नहीं देने पर कॉलेज इंटर पढ़ाई बंद करने की बात करते हैं. कई कॉलेजों ने इस संबंध में काउंसिल को पत्र भी लिखा है. जैक ने इस संबंध में कॉलेजों को सरकार से अनुमति लेने को कहा है.
अलग नहीं हुई इंटर की पढ़ाई
यूजीसी के निर्देश के अनुरूप अधिकांश डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग नहीं हुई. मानव संसाधन विकास विभाग ने वर्ष 2004 में झारखंड हाइकोर्ट में आश्वासन दिया था कि डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग की जायेगी.
छठा वेतनमान देने में लगी थी शर्त
विवि के शिक्षकों को छठा वेतनमान इसी शर्त के साथ दिया गया था कि वे इंटर की कक्षाएं नहीं लेंगे. सरकार ने इन कॉलेजों को इंटर की पढ़ाई अलग करने के लिए 31 मार्च 2011 तक का समय दिया था. रांची कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज, डोरंडा कॉलेज व रांची महिला कॉलेज में इंटर की अलग व्यवस्था की गयी. अन्य कॉलेजों में इंटर की अलग पढ़ाई की व्यवस्था नहीं हो पायी है.