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रांची : सीमावर्ती जिलों के गोशाला में आ रही समस्या, क्षमता से अधिक हो जा रहे हैं गोवंश

मनोज सिंह नहीं मिल रहा समय पर सरकार से अनुदान रांची : दूसरे राज्यों से सीमावर्ती जिलों में पड़ने वाले गोशाला में जानवरों की संख्या बढ़ गयी है. लेकिन समय पर अनुदान नहीं मिलने से मवेशियों के रख रखाव में दिक्कत आ रही है. खास कर गर्मी और बारिश में इनकी सेवा नहीं हो पा […]

मनोज सिंह
नहीं मिल रहा समय पर सरकार से अनुदान
रांची : दूसरे राज्यों से सीमावर्ती जिलों में पड़ने वाले गोशाला में जानवरों की संख्या बढ़ गयी है. लेकिन समय पर अनुदान नहीं मिलने से मवेशियों के रख रखाव में दिक्कत आ रही है. खास कर गर्मी और बारिश में इनकी सेवा नहीं हो पा रही है.
इन गोशाला में तस्करी में पकड़े गये जानवरों को रखा जाता है. हजारीबाग गोशाला में 300 जानवरों को रखने की क्षमता है. वर्तमान में 700 से अधिक जानवर हैं. इसी तरह की स्थिति धनबाद के गोशाला की भी है. हजारीबाग गोशाला ने समय पर अनुदान नहीं मिलने की शिकायत मुख्यमंत्री जनसंवाद में भी की है. इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है. 2015-16 का पैसा अभी मिला है
पकड़े गये जानवरों को खिलाने के लिए सरकार से प्रति जानवर 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाता है. यह अनुदान भी छह माह के लिए ही होता है. इसमें भी अभी 2015-16 का ही अनुदान मिला है. हजारीबाग गोशाला की आेर से करीब 23 लाख रुपये सरकार के यहां दावा किया हुआ है. जब भुगतान के लिए दावा किया गया तो सचिवालय में जीएसटी मांगा जा रहा है. गोशाला प्रबंधन ने सरकार को अवगत कराया है कि जानवरों को किसानों के यहां से कुट्टी व अन्य चीजें लेकर दी जाती है. किसानों के पास जीएसटी नंबर नहीं होता है. इसके बाद भी परेशान किया जा रहा है.
उपायुक्त की अनुशंसा पर गोशाला में रखे जाते हैं जानवर
चेकिंग के दौरान पकड़े गये जानवर उपायुक्त की अनुशंसा पर गोशाला में रखे जाते हैं. गोशाला में पुलिस की रिपोर्ट पर जिला पशुपालन पदाधिकारी कागज तैयार कराकर उपायुक्त की अनुशंसा लेते हैं. इसके बाद ही जानवर को रखा जाता है. इसी रिपोर्ट को संलग्न कर गो सेवा आयोग के पास गोशाला आवेदन करते हैं.
खाली है गोसेवा आयोग
गो सेवा आयोग में नौ साल से सदस्य नहीं हैं. यहां ना अध्यक्ष है ना ही उपाध्यक्ष. विभाग की सचिव प्रशासक की भूमिका में हैं. अध्यक्ष व सदस्य नहीं होने के कारण अनुदान वाली संचिका सचिवालय जाती है. वहां यह चक्कर काटती रहती है. राज्य में करीब 21 निबंधित गोशाला हैं.
क्या कहते हैं गोशाला के संचालक
हजारीबाग गोशाला के सचिव चंद्र प्रकाश जैन कहते हैं कि उनके यहां क्षमता से अधिक जानवर हो गये हैं. इसको रखने में परेशानी हो रही है. मानवीय आधार पर यह ठीक नहीं है. खाने-पीने के सामानों की कमी हो जाती है. अपना काम छोड़ गोशाला की व्यवस्था में लगा रहना पड़ता है. हम पकड़े हुए सभी जानवरों को रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार समस्या पर ससमय ध्यान दे.
झरिया धनबाद गोशाला के प्रबंधक मुन्ना पांडेय कहते हैं कि जानवरों को रखने में परेशानी नहीं है. सरकारी अनुदान एडवांस में देने की व्यवस्था होनी चाहिए. विभाग के मंत्री साल भर का अनुदान देने के लिए बोले थे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ.
गोशाला के राज्य स्तरीय कमेटी के संयुक्त सचिव प्रमोद सास्वत कहते हैं कि हमें जानवर नहीं रखना है. सरकार अपना शेलटर होम बना ले. वहीं पकड़े गये जानवरों को रखे. समय पर भुगतान नहीं होने के कारण परेशानी होती है.

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