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रांची : दलबदल मामले में निर्वाचन आयोग के अलग-अलग जवाब से हो रहा भ्रम
रांची : झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में विलय को लेकर विस अध्यक्ष की अदालत में चल रहे दलबदल से संबंधित मामले में नया मोड़ आ गया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता बाबूलाल मरांडी की ओर से भारतनिर्वाचन आयोग के पत्र का हवाला देते हुए बताया गया कि निर्वाचन आयोग को झाविमो […]
रांची : झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में विलय को लेकर विस अध्यक्ष की अदालत में चल रहे दलबदल से संबंधित मामले में नया मोड़ आ गया है.
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता बाबूलाल मरांडी की ओर से भारतनिर्वाचन आयोग के पत्र का हवाला देते हुए बताया गया कि निर्वाचन आयोग को झाविमो विधायक के भाजपा में विलय की जानकारी नहीं है.
आरटीआइ के तहत मई 2016 में इससे संबंधित जानकारी का उल्लेख किया गया है. हालांकि 15 जुलाई 2016 को भाजपा नेता की ओर से निर्वाचन आयोग से आरटीआइ के तहत विधानसभा में दलगत स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गयी थी. आयोग की ओर से स्पष्ट कहा गया था कि झारखंड में भाजपा के 43 व झाविमो के दो विधायक हैं. आयोग की ओर से दी गयी जानकारी को राजनीतिक दल अपने-अपने तरह से व्याख्या कर रहे हैं.
इधर कानूनविदों का कहना है कि मामले में विधानसभा अध्यक्ष ही निर्णय ले सकते हैं. यह मामला उनकी अदालत में विचाराधीन है. अब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं आया है. इसलिए आयोग की ओर से कहा जा रहा है कि विलय के बारे में सूचना नहीं है. वहीं दूसरी तरफ समय-समय पर विधानसभा की ओर से आयोग को जानकारी दी जाती है. इसी के आलोक में आयोग की ओर से बताया गया होगा कि विस में भाजपा के 43 व झाविमो के दो विधायक हैं.
अविलंब समाप्त हो छह विधायकों की सदस्यता : झाविमो
झाविमो के केंद्रीय महासचिव खालिद खलील ने कहा कि दलबदल का मामला साफ हो गया है. भाजपा ने लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते हुए झाविमो के छह विधायकों को अपने पाले में किया है. निर्वाचन आयोग ने मई 2016 में कहा है कि उसके पास झारखंड में किसी दल के विलय की सूचना नहीं है. ऐसे में स्पीकर अविलंब सदस्यता समाप्त करें
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