चावल कहां गया, इसके पैसे का क्या हुआ, इसकी जानकारी न तो राज्य खाद्य निगम को है और न ही विभाग को
रांची : एक ओर राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिख कर उनसे राज्य के सभी प्रखंडों में अन्न कोष (ग्रेन बैंक) बनाने की बात कही है. दूसरी ओर खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने गरीबों के लिए मिले करीब 19678 क्विंटल चावल को गायब कर दिया है. इसके साथ ही सरकार के करीब 3.5 करोड़ रुपये (18 रुपये प्रति किलो के हिसाब से) भी डूब गये हैं. दरअसल यह चावल गरीबों को बांटने के लिए विलेज ग्रेन बैंक (ग्रामीण अन्न कोष) के नाम पर मिले थे.
यह वर्ष 2011-12 की केंद्रीय योजना थी, जो अकाल, सुखाड़ या अभाव की स्थिति में खाद्य सुरक्षा के तहत गरीबों को देने के लिए बनी थी. गरीबों को यहां से अनाज उधार मिलना था, जिसे बाद में वे लौटा देते. इससे पहले प्रभात खबर में चावल गायब होने संबंधी खबर छपने के बाद राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बालेश्वर सिंह ने इसकी खोज-खबर ली थी. पता चला कि रांची व कोडरमा को छोड़ राज्य के शेष 22 जिलों को यह चावल आवंटित किया गया था, पर इसके आगे कुछ नहीं हुआ. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, अलग से कोई ग्रेन बैंक नहीं बनाया जा सका था.
इसलिए संबंधित जिलों के खाद्य आपूर्ति पदाधिकारियों तथा आपूर्ति निरीक्षकों (सप्लाइ इंस्पेक्टर) के माध्यम से पीडीएस डीलरों को ही यह चावल उपलब्ध करा दिया गया था. उन्हें यह चावल सुरक्षित रखना था, पर न तो इस चावल का समायोजन हुआ है और न ही इसकी कीमत ही वसूली जा सकी है. चावल कहां गया, इसके पैसे का क्या हुआ, इसकी कोई जानकारी न राज्य खाद्य निगम को है और न ही विभाग को.
किस जिले को कितना चावल
खूंटी (360 क्विंटल), गुमला (1600), सिमडेगा (1600), लोहरदगा (1280), जमशेदपुर (82), चाईबासा (1628), सरायकेला (1360), पलामू (220), गढ़वा (493), लातेहार (920), गिरिडीह (642), हजारीबाग (680), चतरा (720), रामगढ़ (240), धनबाद (1339), बोकारो (720), दुमका (1120), जामताड़ा (1080), देवघर (640), साहेबगंज (1038), गोड्डा (878) व पाकुड़ (1038 क्विंटल) = कुल 19678 क्विंटल