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16 साल बाद भी यूजीसी में आरएमसीएच ही, अब भेजा है नाम बदलने का प्रस्ताव

राजीव पांडेय वर्ष 2002 में ही आरएमसीएच से बन गया था रिम्स, पर रांची : यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) को राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) करने की कवायद शुरू हुई है. बिहार से अलग होने के बाद वर्ष 20 अप्रैल 2002 को राज्य सरकार ने नाम बदलने […]

राजीव पांडेय
वर्ष 2002 में ही आरएमसीएच से बन गया था रिम्स, पर
रांची : यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) को राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) करने की कवायद शुरू हुई है. बिहार से अलग होने के बाद वर्ष 20 अप्रैल 2002 को राज्य सरकार ने नाम बदलने का गजट प्रकाशित किया, लेकिन 16 साल बीत जाने के बाद भी यूजीसी की लिस्ट में आरएमसीएच ही है. जानकारी होने के बाद 24 अप्रैल 2018 को रिम्स प्रबंधन ने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा है. यूजीसी को 42 पृष्ठ की जानकारी भेजी गयी है.
विशेषज्ञों की मानें तो यूजीसी की लिस्ट में आरएमसीएच हाेने व नाम नहीं बदलने के कारण रिम्स को 16 साल से यूजीसी का कोई अनुदान नहीं मिला. अगर यूजीसी की लिस्ट में रिम्स का नाम दर्ज होता, तो कॉलेज को अनुदान मिलना शुरू हो जाता. कॉलेजों को अनुदान तभी मिलता है, जब यूजीसी के सेक्शन 2 (एफ) व 12 (बी) के एक्ट 1965 में नाम दर्ज हो. रिम्स में कई निदेशक व डीन आये, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया.
शोध कार्य के लिए मिलने लगेगा अनुदान : यूजीसी की सूची में रिम्स का नाम दर्ज होने के बाद रिम्स के सीनियर व जूनियर डॉक्टरों को शोध के लिए पैसा मिल पायेगा. डॉक्टर शोध का प्रस्ताव बना कर यूजीसी को भेजेंगे, जिसके आधार पर वहां से पैसा मिलेगा. इसके अलावा रिम्स के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप के लिए भी पैसा मिलेगा.
रांची विवि देता है रिम्स के नाम से सर्टिफिकेट
रिम्स के मेडिकल विद्यार्थियों को रांची विश्वविद्यालय एमबीबीएस व पीजी कोर्स करने पर रिम्स के नाम से सर्टिफिकेट देता है, जबकि यूजीसी की साइट पर झारखंड में आरएमसीएच का नाम दर्ज दिखता है. इससे कई बार लोग रिम्स के सर्टिफिकेट पर सवाल भी पूछने लगते हैं.
यूजीसी में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) का नाम ही दर्ज है. रिम्स करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. यूजीसी को प्रस्ताव भेजा गया है. यूजीसी की सूची में नाम दर्ज हो जाने से अनुदान के अलावा शोध कार्य के लिए पैसा भी मिलने लगेगा. विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी मिलेगी.
डॉ आरके श्रीवास्तव, डीन रिम्स
परीक्षा में पूछे जाने थे ढाई-ढाई अंक के चार प्रश्न
कुलपति ने फिर से परीक्षा का दिया प्रस्ताव, तैयार नहीं हुए विद्यार्थी
माइक्रोबॉयोलोजी की परीक्षा में 40 की जगह पूछे 37.5 अंक के प्रश्न
रांची : एमबीबीएस वर्ष 2015 बैच के विद्यार्थी मंगलवार को परीक्षा में प्रश्न पूछे जाने में हुई गड़बड़ी को लेकर रांची विश्वविद्यालय मुख्यालय पहुंचे थे. विद्यार्थियों ने अपनी समस्या को लेकर पहले परीक्षा नियंत्रक व बाद में फिर कुलपति डॉ रमेश पांडेय से मुलाकात की. विद्यार्थियों का कहना था कि माइक्रोबॉयोलॉजी पेपर एक की परीक्षा में दस अंक के चार प्रश्न पूछे जाने थे. यानी प्रत्येक प्रश्न के लिए 2.5 अंक निर्धारित किया गया था. लेकिन परीक्षा में चार की जगह तीन प्रश्न ही पूछे गये.
कुल 40 अंक का पेपर था. ऐसे में 40 अंक की परीक्षा में 37.5 अंक के ही प्रश्न पूछे गये. विद्यार्थियों का कहना था कि जो प्रश्न नहीं पूछे गये, उसमें एवरेज मार्किंग की जाये, सभी को 2.5 अंक दिया जाये.
परीक्षा नियंत्रक ने विद्यार्थियों से कहा कि चार की जगह जो तीन प्रश्न पूछे गये थे, उसी को दस अंक में बांट दिया जायेगा. प्रत्येक प्रश्न का मूल्यांकन दस अंक में बांटे गये अंक के आधार पर किया जायेगा. विद्यार्थी परीक्षा नियंत्रक की बात से संतुष्ट नहीं हुए. इसके बाद विद्यार्थियों का प्रतिनिधिमंडल कुलपति डॉ रमेश पांडेय से मिला. कुलपति ने विद्यार्थियों से कहा कि सभी को समान अंक नहीं दिये जा सकते. कुलपति ने विद्यार्थियों से कहा कि वे ढाई अंक की अलग से परीक्षा ले लेंगे.
विद्यार्थी इस पर भी सहमत नहीं हुए. उनका कहना था कि पूरे सिलेबस से ढाई अंक की परीक्षा कैसे ली जा सकती है. इससे विद्यार्थियों को काफी परेशानी हाेगी. कुलपति ने विद्यार्थियों को इस संबंध में डीन से आवेदन अग्रसारित करा कर देने को कहा. विद्यार्थियों द्वारा आवेदन जमा किये जाने के बाद इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. विवि प्रशासन दस अंक को तीन प्रश्न में बांटने की तैयारी कर रहा है. प्रस्ताव को परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा जायेगा.

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