रांची : कल्याण विभाग से संबद्ध झारखंड जनजातीय सहकारी विकास निगम (जेटीसीडीसी), झारखंड अनुसूचित जाति सहकारी विकास निगम (जेएससीडीसी) तथा अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराता है. पर इस योजना में एक पेच है. केंद्रीय सहायता से संचालित इस ऋण योजना के लिए ऋण लेने वाले को सरकारी गारंटर देना जरूरी है. इधर, कल्याण सह समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने इस प्रावधान को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. हालांकि केंद्र ने अब तक इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया है.
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ऋण के लिए सरकारी गारंटर का प्रावधान हटाया जाये
रांची : कल्याण विभाग से संबद्ध झारखंड जनजातीय सहकारी विकास निगम (जेटीसीडीसी), झारखंड अनुसूचित जाति सहकारी विकास निगम (जेएससीडीसी) तथा अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराता है. पर इस योजना में एक पेच है. केंद्रीय सहायता से संचालित इस ऋण योजना के लिए ऋण लेने वाले को सरकारी […]
दरअसल ऋण के लिए सरकारी कर्मचारियों को बतौर गारंटर खोज पाना बेरोजगार युवाओं के लिए एक मुश्किल काम है. इससे ऋण वसूली की गारंटी तो बढ़ सकती है, पर ऋण के लिए आवेदन देने वाले युवाओं का इससे अहित होता है. यही वजह है कि अकेले जेटीसीडीसी में ऋण के लिए एक हजार से अधिक आवेदन पड़े हैं, पर इनमें से कुछ को ही ऋण मिल पाता है.
मंत्री के पत्र का अभी केंद्र से जवाब नहीं आया
सरकारी कर्मियों को गारंटर बनाना बेरोजगार युवाओं के लिए मुश्किल
जेटीसीडीसी में ऋण के लिए एक हजार से अधिक आवेदन पड़े हैं
गारंटर के बाद भी डूबे 13.41 करोड़
जेटीसीडीसी ने राज्य गठन से लेकर अब तक 22.45 करोड़ रुपये लोन बांटा है. वहीं इसके विरुद्ध अब तक सिर्फ 9.04 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है. इस तरह सरकारी गारंटर होने के बावजूद निगम के करीब 13.41 करोड़ रुपये डूबे हुए हैं. जेटीसीडीसी पहले एसटी, एससी, ओबीसी, विकलांग तथा अल्पसंख्यक समुदाय के बेरोजगार युवाओं को ऋण देता था, पर 2008 में अनुसूचित जाति विकास निगम तथा 2012 में अल्पसंख्यकों के लिए वित्तीय विकास निगम के गठन के बाद संबंधित समुदाय के युवाअों को इन्हीं संस्थाओं से ऋण मिलता है.
पत्र पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है
मैंने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा है, पर अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है.
लुईस मरांडी, कल्याण सह समाज कल्याण मंत्री
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