रांची: बिजली कंपनियों में एमडी नियुक्ति के प्रस्ताव को कैबिनेट खारिज कर दिया है. कैबिनेट ने इसमें संशोधन कर दोबारा प्रस्ताव भेजने की अनुशंसा की है. इसके साथ ही पिछले पांच माह से लंबित बिजली कंपनियों में एमडी की नियुक्ति का प्रस्ताव एक बार फिर लंबित हो गया है.
कैबिनेट ने ऊर्जा विभाग द्वारा आनन-फानन में बनाये गये प्रस्ताव पर भी सवालिया निशान लगाते हुए नये सिरे से प्रस्ताव को भेजने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला : छह जनवरी 2014 को बिजली बोर्ड का बंटवारा कर चार कंपनियां बनायी गयी. इन कंपनियों में वितरण व उत्पादन कंपनी में एमडी का पद रिक्त है. वहीं ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड में दो अंशकालिक निदेशकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है. इस कारण बिजली के मामले में कोई बड़ा फैसला नहीं हो रहा है. न ही किसी प्रकार के बड़े टेंडर निकाले जा रहे हैं. यहां तक कि पीटीपीएस में प्रस्तावित नये पावर प्लांट के लिए आरएफक्यू के बाद टेंडर नहीं हो पा रहा है. इन कारणों को देखते हुए ऊर्जा विभाग द्वारा बंटवारे के बाद कंपनियों के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया था.
क्या था प्रस्ताव
1. अंशकालिक निदेशकों की नियुक्ति नाम के जगह पदनाम करने का प्रस्ताव था, ताकि ऊर्जा सचिव व वित्त सचिव को निदेशक मंडल में जगह दिया जा सके.
2. एमडी की नियुक्ति सरकार की अनुशंसा पर किया जायेगा.चयन समिति के माध्यम से कराने पर काफी विलंब होगा.
3. चारों कंपनियों में एमडी के पद को सीएमडी के बराबर किया जाये. वहीं होल्डिंग कंपनी के सीएमडी चारों कंपनियों में भी सीएमडी रहेंगे.
कैबिनेट की आपत्ति
आपत्ति : अंशकालिक निदेशक की योग्यता निर्धारित की गयी है, पर एमडी की योग्यता निर्धारित नहीं की गयी है कि किस स्तर के पदाधिकारी एमडी बन सकते हैं. योग्यता निर्धारित की जाये.
आपत्ति : प्रस्ताव नामंजूर, नियुक्ति चयन समिति के माध्यम से ही किया जायेगा. इसके लिए योग्यता निर्धारित की जाये. चयन समिति का गठन किया जाये.
आपत्ति : एक कंपनी में दो-दो सीएमडी कैसे रह सकते हैं. अलग-अलग कंपनियों के अलग-अलग ही सीएमडी होंगे.