रांची: राजधानी रांची का सबसे महत्वपूर्ण पुल कमाई का जरिया बन गया है. ओवरब्रिज के सौंदर्यीकरण के लिए लगाये गये फूल और पौधे ब्रिज से हटाये जा चुके हैं, परंतु विज्ञापन पट्ट अभी तक बरकरार हैं. पथ निर्माण विभाग ने इस ब्रिज को पूर्व में ही जजर्र घोषित कर दिया था. ओवरब्रिज पर से अतिरिक्त बोझ हटाने का आदेश भी जारी किया था, परंतु अभी तक इस ब्रिज से विज्ञापन पट्टों को हटाया नहीं जा सका है.
पूर्व में नगर निगम द्वारा इस पुल के सौंदर्यीकरण का काम एडवर्टाइजिंग एजेंसी को दिया गया था. सौंदर्यीकरण के एवज में एजेंसी को पुल पर विज्ञापन पट्ट लगाने का अधिकार दिया गया था. पथ निर्माण विभाग ने 27 जनवरी 2010 को नगर निगम को पत्र लिख कर कहा कि ओवरब्रिज जजर्र हो चुका है. इसलिए इसपर किसी प्रकार का कोई सौंदर्यीकरण का काम न हो. विभाग ने पुल से अतिरिक्त निर्माण हटाने का आग्रह नगर निगम से किया. इसके बाद नगर निगम ने स्ट्रोक के साथ हुए एग्रीमेंट को रद्द करते हुए उसे पुल के सौंदर्यीकरण कार्य से मुक्त करने का आदेश दिया. एजेंसी ने ओवरब्रिज के डिवाइडर पर लगी मिट्टी, फूल और पौधे को हटा दिया पर विज्ञापन पट्ट पूर्ववत लगे हुए हैं. हालत यह है कि पिछले दो साल से एजेंसी ने निगम को कोई राशि भी नहीं दी है.
20 लाख कमाई पर निगम को मिलता था 25 हजार
नगर निगम ने पुल पर विज्ञापन लगाने के एवज में विज्ञापन एजेंसी स्ट्रोक के साथ मात्र 25 हजार रुपये में इकरारनामा किया था, जबकि एजेंसी इस ब्रिज से ही विज्ञापन लगाने के एवज में सालाना 20 लाख से अधिक की राशि वसूल रही है. इतनी कम राशि में निगम ने इस पुल पर विज्ञापन लगाने का अधिकार कैसे दिया, इस पर निगम अधिकारी कहते हैं कि यह पूर्व सीइओ ने किया था.
हटाने की मांग की तो हुआ केस दर्ज
ओवरब्रिज में लगाये गये विज्ञापन पट्ट पर किस प्रकार से एजेंसी का राज चलता है. इसकी बानगी तब देखने को मिली जब विज्ञापन पट्ट को हटाने की मांग को लेकर ओवरब्रिज बचाओ नागरिक समिति ने पुल पर जाम किया. जाम के बाद पुल से विज्ञापन पट्ट तो नहीं हटा लेकिन विरोध प्रदर्शन कर रहे संजय सहाय, पवन कुमार झा, संजीव कुमार सहित कई लोगों पर जिला प्रशासन ने केस दर्ज कर दिया.