रांची: 25 एकड़ में फैले 350 बेडवाले एचइसी प्लांट को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में चलाया जायेगा. इसके लिए प्रबंधन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. पिछले दिनों कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए प्रबंधन ने निविदा जारी की थी. सात कंपनियों ने निविदा डाली है. इनमें से एक कंपनी को प्लांट अस्पताल का मूल्यांकन करने की जिम्मेवारी दी जायेगी.
इनका मूल्यांकन के बाद अस्पताल संचालन के लिए निविदा जारी की जायेगी. इस संबंध में पूछे जाने पर एचइसी के कार्मिक निदेशक एस बनर्जी ने कहा कि कर्मियों और आसपास के रहने वाले लोगों को अच्छा और सस्ता इलाज मिले इस लिए प्लांट अस्पताल को पीपीपी मोड पर देने का निर्णय लिया गया है. इसमें एचइसी की भागीदारी 51 प्रतिशत रहेगी.
क्या है स्थिति
एकीकृत बिहार के श्रेष्ठ अस्पतालों में से एक एचइसी प्लांट अस्पताल की स्थिति खराब है. पहले यहां इतने अधिक मरीज आते थे कि बेड नहीं मिल पाते थे. अब औसतन 50 से 60 मरीज ही इलाज कराने आते हैं. चिकित्सकों की संख्या 100 थी वह अब सिमट कर 20 से 25 रह गयी है. एचइसी की वित्तीय स्थित खराब होने के कारण प्रबंधन ने अस्पताल की ओर ध्यान देना बंद कर दिया है. कई विभाग बंद हो गये हैं. अस्पताल में जो पुरानी मशीनें थी वे भी बंद हो गयी है. एक्स-रे मशीन, डायलिसिस मशीन, सी एंड एमआर मशीन के अलावा इंडोस्कोपी विभाग, गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग को भी बंद कर दिया गया है. इन विभागों को बंद करने का प्रमुख कारण चिकित्सकों का अभाव बताया गया है. वहीं बिल्डिंग की स्थिति भी जजर्र हो गयी है. सात में से महज दो ही लिफ्ट काम करती हैं. सुरक्षा के लिए जहां पूर्व में सीआइएसएफ के जवान तैनात रहते है वहीं आज निजी सुरक्षा के भरोसे प्लांट अस्पताल चलता है.