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रांची : सिर्फ खूंटी के ग्राम प्रधानों को बुलाया जाना उचित नहीं
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने विमर्श को लेकर उठाये सवाल राजभवन में तीन को बैठक होगी रांची : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन के सवाल पर विमर्श करने के लिए सिर्फ खूंटी जिले के ग्राम प्रधानों को राजभवन बुलाने पर सवाल उठाया है़ मंच ने कहा कि यह उचित नहीं है. यह बैठक […]
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने विमर्श को लेकर उठाये सवाल
राजभवन में तीन को बैठक होगी
रांची : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन के सवाल पर विमर्श करने के लिए सिर्फ खूंटी जिले के ग्राम प्रधानों को राजभवन बुलाने पर सवाल उठाया है़ मंच ने कहा कि यह उचित नहीं है. यह बैठक तीन अप्रैल को राजभवन में होनेवाली है़ मंच के अध्यक्ष प्रेमचंद मुर्मू ने कहा कि सिर्फ खूंटी जिला ही अनुसूचि क्षेत्र नहीं है़
आज सरकार खुद कटघरे में है और इसने संविधान की सारी परंपराओं को तोड़ा है़ कानून बनाने की प्रक्रिया को तोड़ा है़ पत्थलगड़ी मामले में संविधान के अनुच्छेद 13 (3), 19 (5) और 244 (1) की व्याख्या चर्चा में है़
पर सरकार खुद इन अनुच्छेदों की व्याख्या करने से कतरा रही है और पत्थलगड़ी को सीधे गैर संवैधानिक घोषित करने व पत्थर पर लिखी व्याख्या के रास्ते पूरे आदिवासी समाज को देशद्रोही साबित करने पर तुली है़
सरकार उनके हित के सारे कानूनों से बेदखल कर उनकी जमीन और उनकी जमीन के नीचे दबे अकूत संपदा को हथियाने का सपने देख रही है़ ऐसे माहौल में राजभवन द्वारा सिर्फ खूंटी क्षेत्र के ग्राम प्रधानों को विमर्श के लिए बुलाना सोचने का विषय है़
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