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कन्या भ्रूण हत्या रोकने को डीसी होंगे जिला समुचित प्राधिकारी
रांची : गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994(पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत जिला स्तर पर उपायुक्त को जिला समुचित प्राधिकारी अधिसूचित किया गया है. इस एक्ट के तहत प्रसव पूर्व लिंग जांच पर रोक है. अधिनियम के तहत उपायुक्त चाहें, तो किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को पीसीपीएनडीटी एक्ट की मॉनिटरिंग के लिए नामित कर […]
रांची : गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994(पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत जिला स्तर पर उपायुक्त को जिला समुचित प्राधिकारी अधिसूचित किया गया है. इस एक्ट के तहत प्रसव पूर्व लिंग जांच पर रोक है.
अधिनियम के तहत उपायुक्त चाहें, तो किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को पीसीपीएनडीटी एक्ट की मॉनिटरिंग के लिए नामित कर सकते हैं. पूर्व में यह अधिकार सिविल सर्जन के पास था, पर सिविल सर्जन एक डॉक्टर होते हैं और उन्हें दूसरे डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने में परेशानी होती थी. यही वजह है कि झारखंड सरकार ने अब उपायुक्त को यह जवाबदेही दे दी है. इसके तहत उपायुक्त अब किसी अल्ट्रासाउंड क्लिनिक की जांच कर सकते हैं. जांच में प्रसव पूर्व लिंग जांच की सत्यता पाये जाने पर वह संबंधित डॉक्टर और क्लिनिक पर कार्रवाई कर सकते हैं.
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