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झारखंड : झारक्राफ्ट पर कंबल खरीद में गड़बड़ी का आरोप, होगी जांच
रांची : झारक्राफ्ट पर 18 करोड़ रुपये के कंबल खरीद में गड़बड़ी का आरोप है. इस मामले को लेकर विकास आयुक्त अमित खरे ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूरे मामले की निगरानी से जांच कराने की अनुशंसा की है. उन्होंने लिखा है कि अॉडिट टीम द्वारा इस मामले में गड़बड़ी की आशंका जतायी गयी है, […]
रांची : झारक्राफ्ट पर 18 करोड़ रुपये के कंबल खरीद में गड़बड़ी का आरोप है. इस मामले को लेकर विकास आयुक्त अमित खरे ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूरे मामले की निगरानी से जांच कराने की अनुशंसा की है. उन्होंने लिखा है कि अॉडिट टीम द्वारा इस मामले में गड़बड़ी की आशंका जतायी गयी है, इसलिए यह आवश्यक है कि पूरे मामले की जांच निगरानी से करायी जाये.
बनाना था सखी मंडल को कंबल, बाजार से खरीद कर की गयी आपूर्ति : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नौ लाख कंबल बनाने का काम झारक्राफ्ट को दिया था. पर झारक्राफ्ट द्वारा कंबल न बनवा कर बाजार से खरीद कर आपूर्ति की गयी.
पूरे कंबल की खरीदारी 18 करोड़ रुपये में हुई है. मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत थी कि कंबल बनाने का काम सखी मंडलों और बुनकर समितियों से करायी जाये. झारक्राफ्ट द्वारा 63 सखी मंडलों और बुनकर समितियों को काम दिया गया. इसमें कंपनियों से धागा लेकर सखी मंडलों और बुनकर समितों को उपलब्ध कराया जाना था.
शिकायत मिली कि लातेहार जिले के पोखरीतला के जिस बुनकर समिति को कंबल बनाने का काम दिया गया, उसके पास इतनी क्षमता के लूम ही नहीं थे. मामला एजी की अॉडिट में भी पकड़ में आया.
एजी द्वारा कंबल की ट्रांसपोर्टिंग से लेकर बिना विभागीय अनुमति के टेंडर निकाले जाने पर आपत्ति जतायी गयी थी. पर इस मामले में झारक्राफ्ट द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया. बाद में विकास आयुक्त के निर्देश पर उद्योग निदेशक के रविकुमार ने मामले की जांच की.
पता चला कि झारक्राफ्ट ने कंबल बनाने के लिए धागा खरीदने हेतू नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को अॉर्डर न देकर प्राइवेट लोगों को काम दे दिया. एजी ने इस बात पर आपत्ति जतायी है कि बिना एमडी की अनुमति के ही छोटे-छोटे बुनकरों को काम दिया गया, जिनके पास कंबल बनाने की क्षमता ही नहीं थी.
कागज पर ऐसे लोगों को काम दिये जाने की आशंका जतायी गयी थी. वहीं बिना टेंडर के ही कंबल ट्रांसपोर्टिंग का काम हरियाणा ट्रांसपोर्ट नामक कंपनी को दिया गया. इस पर एजी ने कड़ा एतराज जताया है. एजी का एतराज इस बात को लेकर भी था कि एक ही गाड़ी से अलग-अलग स्थानों पर कंबल आपूर्ति दिखायी गयी है. एक ही नंबर की गाड़ी को एक ही दिन में एक जगह और फिर उससे 1400 किमी दूर की जगह पर दिखाया गया है.
मामले को लेकर विकास आयुक्त ने भुगतान करने से भी मना कर दिया है. झारक्राफ्ट पर यह आरोप लगा है कि बुनकर समितियों द्वारा केवल एक लाख 80 हजार कंबल ही बनाये गये. शेष सात लाख 20 हजार कंबल बाजार से खरीद कर उस पर झारक्राफ्ट का लोगो लगाकर आपूर्ति की गयी है. अब इस पूरे मामले की जांच ही निगरानी से कराने की अनुशंसा कर दी गयी है.
विकास अायुक्त ने पत्र लिखा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से कंबल खरीद मामले की निगरानी से जांच कराने की सलाह दी है. दक्षिणी छोटानागपुर के आयुक्त को इस मामले में जांच की जिम्मेवारी दे दी गयी है.
सुनील बर्णवाल, उद्योग सचिव
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