रांची : नगर निगम में एक ही जमीन के लिए चुटिया निवासी तीन भाइयों का होल्डिंग टैक्स काट दिया गया, जबकि चौथे भाई का होल्डिंग नंबर पेंडिंग रखा गया. उससे उसकी माता का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. भुक्तभोगी ने इसकी शिकायत नगर विकास मंत्री सीपी सिंह से की. शनिवार को मंत्री श्री सिंह निगम कार्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने काउंटर पर बैठे टैक्स कलेक्टर सुनील सिन्हा से पूछा कि आवेदक भरत महतो का होल्डिंग क्यों नहीं कट रहा है, जबकि इसी जमीन का होल्डिंग तीन भाइयों का कटा गया है.
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नगर निगम कार्यालय पहुंच टैक्स कलेक्टर पर बरसे मंत्री सीपी सिंह
रांची : नगर निगम में एक ही जमीन के लिए चुटिया निवासी तीन भाइयों का होल्डिंग टैक्स काट दिया गया, जबकि चौथे भाई का होल्डिंग नंबर पेंडिंग रखा गया. उससे उसकी माता का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. भुक्तभोगी ने इसकी शिकायत नगर विकास मंत्री सीपी सिंह से की. शनिवार को मंत्री श्री […]
इस पर टैक्स कलेक्टर ने कहा कि जमीन तो मां के नाम पर है. जब तक मां का मृत्यु सर्टिफिकेट जमा नहीं हो जाता है, कैसे बेटा के नाम पर होल्डिंग कटेगा. इस पर मंत्री गुस्से में आ गये. उन्होंने टैक्स कलेक्टर से कहा कि बाकी के तीनों भाइयों का होल्डिंग कैसे कट गया. जब तीन भाई का कट रहा है, तो फिर चौथे को क्यों दौड़ाया जा रहा है. पांच मिनट तक काउंटर पर खड़े रहने के बाद मंत्री ने नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि ऐसे कर्मचारी को तुरंत सस्पेंड करें, जिसे केवल पब्लिक को परेशान करने में मजा आता है.
चुटिया के भरत ने टैक्स कलेक्टर पर लगाया घूस मांगने का आरोप
एक तुम ही हरिश्चंद्र हो, बाकी सब चोर है : मंत्री
मंत्री से शिकायत करने वाले भरत महतो ने बताया कि मैं एक साल से अपनी जमीन का होल्डिंग कराने के लिए निगम का चक्कर लगा रहा था. बार-बार मुझसे मां का डेथ सर्टिफिकेट मांगा जा रहा था. जब मैंने कहा कि मां की मृत्यु काफी साल पहले हुई है. अब हम डेथ सर्टिफिकेट कहां से लेकर आयेंगे. इस पर हमसे पांच हजार रुपये घूस मांगा गया. इस पर टैक्स कलेक्टर कहने लगा कि युवक गलत बोल रहा है. इस पर मंत्री टैक्स कलेक्टर ही भड़क गये. उन्होंने कहा कि एक तुम ही सत्यवादी हरिश्चंद्र हो, बाकी सब चोर है.
टैक्स कलेक्टर निलंबित, विभागीय कार्यवाही चलेगी
चुटिया निवासी भरत महतो की शिकायत व नगर विकास मंत्री के आदेश के बाद नगर आयुक्त डॉ शांतनु अग्रहरि ने टैक्स कलेक्टर सुनील सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. जारी आदेश में नगर आयुक्त ने लिखा है कि जानबूझ कर टैक्स कलेक्टर द्वारा आवेदक को दौड़ाया जा रहा था, जो गलत है. इसलिए निलंबित करते हुए इन पर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया गया है.
किडनी की बीमारी का पता चलते ही डॉक्टर से मिलें
किडनी की बीमारी भारत देश में तेजी से बढ़ रही है. शोध में यह पाया गया है कि देश में 11 से 17 फीसदी लोग किडनी की किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं. किडनी की बीमारी का पता चलते ही मरीज नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) के पास जायें. क्योंकि शुरुआत के तीन महीनों के अंदर इलाज शुरू होने पर काफी हद तक किडनी को बचाया जा सकता है. किडनी की बीमारी क्यों तेजी से बढ़ रही है. किडनी को कैसे स्वस्थ रखा जा सकता है इस पर राज अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ अविनाश कुमार दुबे से राजीव पांडेय ने बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.
डायबिटीज मरीजों की किडनी बहुत जल्दी खराब हो जाती हैै, ऐसा क्यों?
डायबिटीज मरीज के शुगर लेवल में लगातार उतार-चढ़ाव से किडनी पर इसका असर होता है. ऐसे मरीज की किडनी 12 से 13 साल में खराब हो जाती है. मरीजों को अचानक से इसका पता चलता है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है और मरीज को डायलिसिस की जरूरत पड़ जाती है. डायबिटीज के मरीज को बीमारी का पता चलते ही नेफ्रोलॉजिस्ट से भी संपर्क करना चाहिए. उनकी सलाह लेकर उपचार कराना चाहिए. डायबिटीज से आंख व हार्ट पर भी असर पड़ता है.
नमक के अत्यधिक प्रयोग से भी किडनी खराब होती है क्या?
बिल्कुल,अत्यधिक नमक के इस्तेमाल से भी किडनी पर असर पड़ता है. जितना हो से नमक का इस्तेमाल कम करें. सामान्य तौर पर प्रतिदिन पांच ग्राम तक नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं. पैक्ड फूड में नमक की मात्रा ज्यादा होती है. इसके प्रयोग से शरीर पर नमक का अतिरिक्त भार बढ़ जाता है. हमारे भोजन में विभिन्न प्रकार की सब्जी व दाल का प्रयोग होता है, जिसमें अलग-अलग नमक का उपयोग किया जाता है. संतुलित नमक खाने से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. ऊपर से नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. फास्ट फूड के उपयोग से बचें.
दर्द व गैस की दवा का ज्यादा इस्तेमाल भी हानिकारक है क्या?
दर्द की दवा का सीधा असर किडनी पर पड़ता है. हल्के से दर्द में लोग बिना डॉक्टरी सलाह के दर्द की दवा का उपयोग करते हैं. इससे किडनी प्रभावित होती है. मरीज में क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की संभावना बढ़ जाती है. 60 साल की उम्र में जो मरीज गैस की दवा का नियमित सेवन करते हैं, उनकी किडनी पर तेजी से असर पड़ता है. मरीज सीकेडी की चपेट में आ जाता है.
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