समाज की बेहतरी इसी में है कि हमारे आसपास शांति-सौहार्द कायम रहे. शांति में खलल पड़ने से आम जिंदगी तबाह हो जाती है. घरों से निकलना, बच्चों का स्कूल जाना, बाजार से जरूरी सामान की खरीदारी की कौन कहे, जिंदगी ही कैद हो जाती है. हम अपने परिजनों की कुशलता को लेकर आशंकित रहते हैं, मानसिक दबाव चारों पहर बना रहता है.
ऐसे में जरूरी है कि हम किसी उत्तेजना में न फंसें. अफवाहों को हवा न दें और एक जिम्मेवार शहरी के नाते अमन-चैन की जड़ों को मजबूत करें. आप जानते हैं कि अशांति की कीमत आखिरकार आम लोगों को ही चुकानी पड़ती है.
अशांति के चलते अपने शहर के नाम पर जो धब्बा लगता है, वह आसानी से मिटता नहीं.समाज के ज्यादातर लोग चाहते हैं कि अमन-चैन बना रहे. शांति-सौहार्द में खलल न पड़े. धर्म चाहे कोई भी हो, सभी धर्मों का एक ही संदेश है कि इंसानियत कायम रहे. यह मनुष्यता बची रहे. तो आईए, संकल्प लें कि हम शांति व भाईचारा बनाये रखेंगे.