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जेलों में क्षमता से अधिक हैं कैदी

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार को सदन में मिला जवाब रांची : झारखंड के विभिन्न जेलों में न सिर्फ क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, बल्कि विभिन्न कोटि की जेलों के बीच कैदियों का वितरण भी असंतुलित है. राज्य के पांच केंद्रीय काराओं, 17 जिला जेलों, पांच उप काराओं, एक बोर स्टॉल स्कूल और एक खुली […]

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार को सदन में मिला जवाब
रांची : झारखंड के विभिन्न जेलों में न सिर्फ क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, बल्कि विभिन्न कोटि की जेलों के बीच कैदियों का वितरण भी असंतुलित है.
राज्य के पांच केंद्रीय काराओं, 17 जिला जेलों, पांच उप काराओं, एक बोर स्टॉल स्कूल और एक खुली जेल में कुल 17,173 कैदी बंद हैं. सभी जेलों को मिला कर कैदियों की कुल क्षमता 15,473 ही है. क्षमता की तुलना में कैदियों की तादाद जिला जेलों में जहां करीब डेढ़ गुना अधिक है. केंद्रीय जेलों में निर्धारित क्षमता से कम यानी 95 प्रतिशत कैदी ही हैं. उप जेलों में क्षमता की तुलना में 95.4 प्रतिशत, बोरस्टॉल स्कूल में 31 प्रतिशत और खुली जेल में मात्र 13 प्रतिशत कैदी ही हैं. राज्यसभा में झारखंड के सांसद महश पोद्दार के एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की स्थिति के अनुसार दी है.
कारागार राज्य का विषय: श्री अहीर ने कहा कि कारागार राज्य का विषय है. कारागारों का प्रशासन और प्रबंधन मुख्यतः संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है. भारत सरकार कारागार सुधारों के विभिन्न पहलुओं पर राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को नियमित मार्गदर्शन प्रदान करती रही है. भारत सरकार ने मई 2016 में राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों को उनके मार्गदर्शन के लिए मॉडल कारागार मैनुअल परिचालित किया था, जिसका उद्देश्य देश भर में कारागारों का प्रशासन और कैदियों के प्रबंधन करने वाले नियमों और विनियमों में समरूपता लाना है.

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