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वित्तरहित इंटर कॉलेज, हाइस्कूल व मदरसों में शैक्षणिक हड़ताल
बीएड के नाम पर अनुदान रोकने का किया विरोध झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में चरणबद्ध आंदोलन शुरू संस्थानों में लटके ताले लाखों विद्यार्थी की पढ़ाई हुई ठप 16 मार्च को राजभवन के समक्ष महाधरना रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली के विरोध में मंगलवार को […]
बीएड के नाम पर अनुदान रोकने का किया विरोध
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में चरणबद्ध आंदोलन शुरू
संस्थानों में लटके ताले लाखों विद्यार्थी की पढ़ाई हुई ठप
16 मार्च को राजभवन के समक्ष महाधरना
रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली के विरोध में मंगलवार को राज्य के लगभग 1300 वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक हड़ताल रही. संस्थानों के प्रवेश द्वार पर ताला लगा कर शिक्षाकर्मियों ने प्रदर्शन किया.
लगभग चार लाख विद्यार्थियों की पढ़ाई ठप रही. हालांकि विद्यार्थी अपने संस्थान में आये, लेकिन प्रवेश द्वार पर ताला लगा देख वापस लाैट गये. बीएड के नाम पर शिक्षकों का अनुदान रोकने व आरटीजीएस के माध्यम से अनुदान राशि सीधे संस्थानों के खातों में नहीं भेजने के विरोध में झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया गया है. इसमें राज्य भर में संचालित प्रस्वीकृति प्राप्त इंटर कॉलेज, हाइस्कूल, संस्कृत स्कूल व मदरसा में कार्यरत 20,000 से अधिक शिक्षक व कर्मचारी शामिल हैं. 16 मार्च को शिक्षाकर्मी राजभवन के समक्ष महाधरना देंगे.
कहा गया कि सरकार जानबूझ कर 25 से 30 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को परेशान कर रही है. सरकार शिक्षकों को कोई वेतन नहीं देती है. साल में एक बार अनुदान मिलता है, जो महंगाई को देखते हुए काफी कम है. शिक्षक जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें सम्मानजनक अनुदान या वेतन नहीं दिया गया.
शाम में मोर्चा की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की समीक्षा की गयी. मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की गयी. लंबी सेवा को देखते हुए बीएड की अनिवार्यता को शिथिल करने, अनुदान से वंचित नहीं करने, महंगाई को देखते हुए घाटानुदान के लिए नियमावली बनाने व पूर्व की तरह अनुदान राशि आरटीजीएस के माध्यम से शिक्षण संस्थानों को भेजने की मांग की गयी.
मांगों की पूर्ति तक आंदोलन पर डटे रहने का संकल्प लिया गया. बैठक की अध्यक्षता सुरेंद्र झा ने की. इस अवसर पर रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, नरोत्तम सिंह, फजलूल कादरी, अरविंद सिंह, पीके सिंह, विजय झा, नरेश घोष, मुरारी सिंह, चंद्रशेखर आदि उपस्थित थे.
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