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झारखंड : पिछले वर्ष 129 करोड़ में बिका था केंदू पत्ता, इस बार आ सका सिर्फ 65 करोड़

II मनोज सिंह II रांची : आनेवाले वित्तीय वर्ष के लिए केंदू पत्ता की बिक्री से मिलनेवाले राजस्व में कमी आयी है. जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष से करीब आधी कीमत ही इस बार केंदू पत्ता की बिक्री से मिल पायी है. 2017-18 में 129 करोड़ रुपये का केंदू पत्ता बिका था. इस बार […]

II मनोज सिंह II
रांची : आनेवाले वित्तीय वर्ष के लिए केंदू पत्ता की बिक्री से मिलनेवाले राजस्व में कमी आयी है. जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष से करीब आधी कीमत ही इस बार केंदू पत्ता की बिक्री से मिल पायी है. 2017-18 में 129 करोड़ रुपये का केंदू पत्ता बिका था.
इस बार (2018-19) मात्र 65 करोड़ रुपये का ही केंदू पत्ता बिक पाया है. इसके लिए तीन चक्र की निविदा निकाली गयी. पहले चक्र में 47, दूसरे चक्र में 12.50 तथा तीसरे चक्र में पांच करोड़ रुपये का राजस्व आया है. केंदू पत्ते की बिक्री एडवांस में होती है. इसके लिए पिछले दो साल से ऑनलाइन निविदा निकाली जा रही है. अप्रैल माह से केंदू पत्ता की बिक्री शुरू हो जायेगी. इस बार 96 लॉट की बिक्री नहीं हो पायी है. इससे करीब 3.25 लाख मानक बोरा केंदू पत्ता नहीं तोड़ा जा सकेगा. इसमें से करीब 40 करोड़ रुपये मजदूरी का वितरण नहीं हो सकेगा.
सशर्त बेचा गया पांच लॉट : पहली बार विभाग ने पांच लॉट केंदू पत्ता की बिक्री सशर्त की है. एक लॉट बिना ड्राफ्ट के ही बेचा गया. यह करीब 2.50 करोड़ रुपये का है.वन विकास निगम ने इन विक्रेताओं को सशर्त अर्नेस्ट मनी जमा करने का आदेश दिया है.
क्या है कारण : पिछले साल जो केंदू पत्ता की बिक्री हुई थी, उसमें कई जिलों ने आपूर्ति आदेश नहीं दिया. इस कारण केंदू पत्ते का उठाव नहीं हो सका और व्यापारियों ने झारखंड में केंदू पत्ता की खरीद में बहुत रुचि नहीं ली. यहां के व्यापारी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की ओर चले गये. यहां मजदूरों को मजदूरी देने में परेशानी हो रही है. इसकी मूल वजह प्रक्रिया का जटिल होना है. इस कारण मजदूरों की रुचि भी नहीं है.
पिछले दो साल से ऑनलाइन निकाली जा रही है निविदा
वर्ष राजस्व (करोड़ में)
2002-03 7.68
2003-04 6.48
2004-05 6.41
2005-06 5.61
2006-07 7.53
2007-08 15.29
2009-10 16.93
2010-11 21.06
वर्ष राजस्व (करोड़ में)
2011-12 29.12
2012-13 41.12
2013-14 24.04
2014-15 16.29
2015-16 19.12
2016-17 60.00
2017-18 129.0
2018-19 65.00 (एडवांस)
पिछली बार का कुछ स्टॉक रह गया था. इस कारण शुरुआती दौर में कम राजस्व दिख रहा है. उम्मीद है कि आनेवाले समय में सब ठीक हो जायेगा. राजस्व में बढ़ोतरी होगी़
आलोक चौरसिया, अध्यक्ष, वन विकास निगम
सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. व्यापारियों को जल्दी आपूर्ति आदेश नहीं मिलता है. कर्मचारी-अधिकारियों के नहीं होने से समय से काम नहीं हो पाता है. मजदूरों को भुगतान की प्रक्रिया कठिन है. सहयोग नहीं मिलने के कारण ही व्यापारी दूसरे राज्यों की ओर जा रहे हैं. यहां के निगम को दूसरे राज्यों से सीखना चाहिए.
विमल कुमार, अध्यक्ष, झारखंड राज्य केंदू पत्ता क्रेता संघ

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