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झारखंड : सरकारी जमीन के अवैध कब्जाधारी को कैबिनेट मंजूरी से ही मिलेगी जमीन, लीज की राशि दे सकते हैं किश्तों में

रांची : कैबिनेट द्वारा सरकारी जमीन के अवैध दखलकारों को 10 डिसमिल तक जमीन लीज पर दिये जाने के फैसले के बाद भी अतिक्रमणकारियों को अासानी से भूमि नहीं मिलेगी. हर अतिक्रमणकारी को लीज पर सरकारी भूमि हासिल करने के लिए सरकार की अनुमति प्राप्त करनी होगी. उपायुक्त या अन्य किसी अधिकारी को जमीन लीज […]

रांची : कैबिनेट द्वारा सरकारी जमीन के अवैध दखलकारों को 10 डिसमिल तक जमीन लीज पर दिये जाने के फैसले के बाद भी अतिक्रमणकारियों को अासानी से भूमि नहीं मिलेगी. हर अतिक्रमणकारी को लीज पर सरकारी भूमि हासिल करने के लिए सरकार की अनुमति प्राप्त करनी होगी.
उपायुक्त या अन्य किसी अधिकारी को जमीन लीज पर देने की शक्ति नहीं प्रदान की गयी है. प्रत्येक लीज के लिए कैबिनेट की अनुमति ली जायेगी. कब्जाधारी को जमीन लीज पर लेने के लिए यह साबित करना होगा कि वह संबंधित भूमि पर 1985 के पहले से रह रहा है.
उसके बाद ही जिलों के माध्यम से भू-राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा जायेगा. प्रस्ताव की समीक्षा के बाद भू-राजस्व कैबिनेट के समक्ष रखेगा. मालूम हो कि राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मकान बनाने के लिए 10 डिसमिल तक जमीन देने का फैसला किया है. 01.01.1985 से पहले से जमीन पर काबिज लोगों को मकान के लिए 30 सालों की लीज पर अधिकतम 10 डिसमिल जमीन दी जा सकेगी. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार पहले ही खासमहाल जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मकान के लिए 12.5 डिसमिल जमीन और खेती के लिए पांच एकड़ जमीन देने का फैसला कर चुकी है.
शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण करने वालों को बंदोबस्त की जाने वाली जमीन का लगान और सलामी का फाॅर्मूला भी निर्धारित किया गया है. इसके तहत अगर जमीन का बाजार मूल्य प्रति डिसमिल एक लाख रुपये हो, तो 30 वर्षों के लिए लगान और सलामी की रकम 25 हजार रुपये होगी. लीज की राशि एकमुश्त या अगले तीन वर्षों के दौरान किश्तों में भी दी जा सकती है.

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