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झारखंड : वर्चुअल वर्ल्ड से शारीरिक संतुष्टि की लत, लोग बन रहे मनोरोगी, रांची के युवा भी चपेट में

II मनोज सिंह II रांची : मोबाइल और इंटरनेट के दौर में एक वर्चुअल दुनिया (काल्पनिक दुनिया) तैयार की जा रही है. इसका नकारात्मक असर भी लोगों के मनोभाव पर पड़ रहा है. युवाओं को इसका लत मनोरोगी भी बना रहा है. इस तरह के कुछ मामले अब मनोचिकित्सकों के पास भी अाने लगे हैं. […]

II मनोज सिंह II
रांची : मोबाइल और इंटरनेट के दौर में एक वर्चुअल दुनिया (काल्पनिक दुनिया) तैयार की जा रही है. इसका नकारात्मक असर भी लोगों के मनोभाव पर पड़ रहा है. युवाओं को इसका लत मनोरोगी भी बना रहा है. इस तरह के कुछ मामले अब मनोचिकित्सकों के पास भी अाने लगे हैं. मनोचिकित्सक बताते हैं कि मल्टीमीडिया के इस दौर में वर्चुअल वर्ल्ड से शारीरिक संतुष्टि प्राप्त करने का नया तरीका खोजा जा रहा है. इसमें कोई पैसा नहीं लगता है.
यह इंटरनेट एडिक्शन से भी ज्यादा खराब और खतरनाक है. यह हर समय आपके हाथ में रहता है. इस मामले में तकनीकी का नकारात्मक इस्तेमाल हो रहा है. रिनपास के मनोचिकित्सक सह कंसलटेंट साइक्रेट्रिस्ट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि जो युवक या युवती इस तरह की गलती कर रहे हैं, इसका असर नहीं जान रहे हैं. इसका काफी व्यापक असर पड़ सकता है. इस तरह की गलती से परेशान मरीज अब रांची जैसे शहरों में दिखने लगे हैं. हाल के कुछ महीनों में इस तरह के कई मरीज डिप्रेशन या एंजाइटी में जाने के बाद इलाज के लिए आ रहे हैं.
युवाओं पर पड़ रहा बुरा असर, डिप्रेशन की चपेट में आ रहे
केस-1
रांची के ही एक तकनीकी संस्थान में पढ़ने वाली 27 वर्षीय लड़की की दोस्ती फेसबुक के माध्यम से एक पुरुष से हो जाती है. लड़की की पारिवारिक पृष्ठभूमि मध्यमवर्गीय और पारंपरिक ख्यालों वाला है.
जिस पुरुष से उसकी दोस्ती हुई, उसे उसने कभी नहीं देखा था. शुरुआती दोस्ती वर्चुअल लव में बदल जाता है. एक-दूसरे पर विश्वास कर शुरू में शरीर के कई अंगों के फोटो का लेन-देन होता है. धीरे-धीरे यह इतना बढ़ जाता है कि एक दूसरे को नग्न तस्वीर (बिना चेहरे वाले) भेजने लगते हैं. इसी बीच लड़की की शादी ठीक हो जाती है.
शादी की खबर जब वह फेसबुक फ्रेंड को बताती है तो वह उसे सभी प्रकार के सोशल साइट्स पर ब्लॉक कर देता है. इससे वह उस पुरुष को संपर्क नहीं कर पाती है. वह बेचैन रहने लगती है. डरती है कि कहीं मेरी तसवीरों को सोशल साइट्स पर नहीं डाल दे. लगातार बेचैनी बीमारी का रूप ले लेता है. नींद उड़ जाती है. खाना छूट जाता है. डिप्रेशन में चली जाती है. घर वाले मनोचिकित्सक के पास ले जाते हैं. वहां जब चिकित्सक को पूरी कहानी बतायी जाती है तो परिजनों की तबीयत बिगड़ जाती है. पिता की सदमे में मौत भी हो जाती है.
केस-2
यह मामला मध्य प्रदेश का है. वहां प्रैक्टिस करने वाले डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि एक ही कमरे में रहने वाले तकनीकी संस्थान के दो दोस्तों में कुछ अनबन हो गयी. अनबन करीब एक माह से चल रही थी. दोनों का एक व्हाट्सएप ग्रुप था. एक लड़के ने अपने दूसरे दोस्त की नग्न तस्वीर किसी व्हाट्सएप ग्रुप में पोस्ट कर दी, जो धीरे-धीरे उसके महिला मित्र के पास चला गया. उसने थोड़ी देर में ही फोन कर उससे दोस्ती छोड़ दी. इससे लड़का डिप्रेशन में चला गया. अब वह इलाजरत है.
क्या है सलाह : मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा और डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि यह जरिया बहुत आसान है. इससे बचना ही बेहतर उपाय है. मल्टीमीडिया का इस्तेमाल करते समय इसके परिणाम को समझना चाहिए. अगर गलती हो जाये तो पूरे मामले पर अपने दोस्तों और परिवार के साथ बात करें. तनाव होने पर मनोचिकित्सकों की राय लें. यह ऐसी गलती है जो आप ठीक नहीं कर सकते हैं.

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