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रांची :ऐसे में बच्चे कैसे सीखेंगे विज्ञान
हाल बयां करते सूबे के विद्यालय रांची : राज्य में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर साइंस की पढ़ाई खस्ता हाल है. विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं. प्रयोगशाला की व्यवस्था खराब है. स्कूलों को सरकार से प्रयोगशाला के लिए राशि तो मिलती है, पर उसका उपयोग नहीं हो पाता. ऐसे में राज्य में विज्ञान का […]
हाल बयां करते सूबे के विद्यालय
रांची : राज्य में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर साइंस की पढ़ाई खस्ता हाल है. विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं. प्रयोगशाला की व्यवस्था खराब है. स्कूलों को सरकार से प्रयोगशाला के लिए राशि तो मिलती है, पर उसका उपयोग नहीं हो पाता. ऐसे में राज्य में विज्ञान का रिजल्ट खराब हो रहा है. प्राथमिक स्तर से लेकर प्लस टू तक में साइंस के शिक्षकों की कमी है. जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप प्रत्येक विद्यालय में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक का एक पद होना अनिवार्य है. पर राज्य के लगभग दस हजार अपग्रेड मध्य विद्यालयों में आज तक शिक्षकों का पद सृजित नहीं किया गया है.
इनमें से अधिकांश स्कूलों में पठन-पाठन पारा शिक्षकों के भरोसे है. हाइस्कूल में साइंस के शिक्षकों के 80 फीसदी पद रिक्त हैं. प्लस टू उच्च विद्यालयाें में जब भी शिक्षकों की नियुक्ति हुई, पद रिक्त रह गया. पिछले दिनों राज्य के 171 प्लस टू उच्च विद्यालयों में भौतिकी व रसायन विषय में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा हुई थी. भौतिकी शिक्षक के लगभग आधे पद रिक्त रह गये. वर्ष 2012 में हुई नियुक्ति में भी प्लस टू उच्च विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त रह गये थे. राज्य में विज्ञान पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई का असर उच्च शिक्षा पर भी पड़ रहा है. ऐसे में बच्चे कैसे विज्ञान की पढ़ाई में आगे बढ़ पायेंगे.
राज्य में इंटर साइंस का रिजल्ट
रांची : हाइस्कूल में साइंस की पढ़ाई का असर इंटरमीडिएट पर भी पड़ रहा है. राज्य में प्रति वर्ष साइंस की सीट खाली रह जाती है. विद्यालयों में साइंस से परीक्षा में शामिल होनेवाले परीक्षार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है. सरकारी प्लस टू उच्च विद्यालय में साइंस की सीट रिक्त रह जाती हैं. नतीजतन, विद्यालय में साइंस के विद्यार्थी दहाई की संख्या में नहीं पहुंच पाते हैं. सरकार ने 280 प्लस टू उच्च विद्यालयों में वर्ष 2017 से पढ़ाई शुरू की. इसमें आधे विद्यालयों में साइंस में एक भी नामांकन नहीं हुआ.
विद्यार्थियों को नहीं पता प्रयोगशाला के उपकरण का नाम, बेकार हो रहें सामान
विद्यालयों में प्रायोगिक कक्षा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल में प्रयोग होने वाले उपकरण की भी ठीक से जानकारी नहीं है. आलम यह है कि विद्यार्थी ठीक से पांच प्रायोगिक सामान का भी नाम नहीं बता पाते हैं.
नामकुम
स्कूल के छात्र रवि कुजूर व प्रद्युम्न नायक ने बताया कि स्कूल में संसाधनों की कमी है, पर वे मेहनत कर परीक्षा पास कर जाएंगे. कुछ विषयों में दिक्कत है जिनमें वे शिक्षकों की मदद ले रहे हैं. वहीं छात्र किरण व पूनम लकड़ा ने कहा कि स्कूल में शिक्षक की कमी होने के कारण पढ़ाई में परेशानी होती है. सभी विषयों के शिक्षक होने से स्कूल का रिजल्ट भी बेहतर होगा.
ओरमांझी
मैट्रिक परीक्षा 2018में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों ने कहा कि शिक्षकों की कमी का असर पठन-पाठन पर पड़ता है. दमयंती कुमारी, गुरुदयाल बेदिया, सुनील बेदिया, मिलन ने कहा कि अंग्रेजी की एक मात्र शिक्षिका सीमा तिवारी इस विद्यालय में थीं जो डेढ़ वर्ष से जिला स्कूल में प्रतिनियुक्ति पर हैं.
हजारीबाग
प्रयोगशाला के बाबत पूछे जाने पर प्लस टू हिंदू स्कूल के छात्र अमित कुमार ने कहा कि अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है. वहीं छात्र कैलाश यादव ने एक दो उपकरण का नाम बताया. कहा कि अभी तक स्कूल की ओर से प्रैक्टिकल नहीं कराया गया है. इसी तरह छात्र धर्मेंद्र कुमार, छात्रा पूजा कुमारी व खुशबू कुमारी ने कहा कि कोई प्रयोग नहीं कराया गया है.
बोरा में बंद विज्ञान के उपकरण
बुढ़मू : राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुरुपीरी को गत वर्ष उत्क्रमित कर मध्य से उच्च विद्यालय तो बना दिया गया, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया गया. आलम यह है कि स्कूल में साइंस, गणित, अंग्रेजी सहित कई अन्य प्रमुख विषयों के एक भी विशेषज्ञ शिक्षक नहीं है. न ही प्रयोगशाला है. हैरत की बात तो यह है कि शिक्षा विभाग के द्वारा विद्यालय को साइंस से जुड़े उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं, लेकिन विज्ञान के शिक्षक नहीं होने के कारण उपकरण बोरा में बंद है. जानकारी के मुताबिक स्कूल में 2 सरकारी शिक्षक के अलावे 7 पारा शिक्षक हैं. सीआरपी देवसागर साहु ने बताया कि विज्ञान के शिक्षक नहीं होने के कारण नौवीं के छात्रों को विज्ञान वे ही पढ़ाते हैं. नौवीं की छात्रा शिवानी कुमारी व सुमन कुमारी ने बताया कि उसे विज्ञान प्रयोगशाला के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. उन्हें यह पता ही नहीं है कि प्रयोगशाला क्या है. और विज्ञान से जुड़े प्रयोग कैसे किये जाते है. कभी किसी शिक्षक ने प्रयोगशाला के बारे में कुछ बताया ही नहीं है.
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