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झारखंड के 53 बच्चों को विदेशियों ने लिया गोद, जानें देशभर में कितनों ने लिया गोद
II संजय II वर्ष 2011 से दिसंबर 2017 तक का आंकड़ा रांची : झारखंड बाल संरक्षण संस्था एवं स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी के वर्ष 2011 में गठन के बाद से दिसंबर 2017 तक झारखंड से 33 लड़कियों व 20 लड़कों (कुल 53) को एनआरआइ व विदेशियों ने गोद लिया है. आंकड़े बताते हैं कि विदेशों […]
II संजय II
वर्ष 2011 से दिसंबर 2017 तक का आंकड़ा
रांची : झारखंड बाल संरक्षण संस्था एवं स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी के वर्ष 2011 में गठन के बाद से दिसंबर 2017 तक झारखंड से 33 लड़कियों व 20 लड़कों (कुल 53) को एनआरआइ व विदेशियों ने गोद लिया है. आंकड़े बताते हैं कि विदेशों में रह रहे लोग लड़के के मुकाबले लड़कियों को गोद लेने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इधर, देश के अंदर झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के ज्यादातर संतानहीन लोगों ने झारखंड के 213 लड़कों तथा 164 लड़कियों (कुल 430) को गोद लिया है. यानी देश के अंदर लड़कों को ज्यादा प्राथमिकता मिल रही है.
सरकार गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित बाल व शिशु गृह को स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (सा) के रूप में भी संचालन का लाइसेंस देती है. इन एजेंसियों में बच्चों को पूरी सुविधा दी जाती है. खूंटी में गैर सरकारी संस्था सहयोग विलेज द्वारा संचालित एजेंसी से बच्चे सबसे ज्यादा गोद लिये जाते हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 158 बच्चों को गोद लिया गया था. इनमें से 101 अकेले सहयोग विलेज, खूंटी के थे. वहीं जिन 53 बच्चों को एनअारअाइ या विदेशियों ने गोद लिया है, उनमें से 42 इसी संस्था के हैं. गोद लेने संबंधी सुविधा तथा प्रक्रिया सहित गोद लिये जाने वाले बच्चों की संख्या के मामले में झारखंड महाराष्ट्र सहित देश के टॉप पांच राज्यों में शुमार हो गया है.
झारखंड की एडॉप्शन एजेंसी (पुरानी) : सहयोग विलेज रांची, सहयोग विलेज खूंटी, सहयोग विलेज सिमडेगा, आइआरए देवघर, करुणा बरियातू रांची, सृजन फाउंडेशन हजारीबाग तथा आइएसडीअो पलामू.
अाठ नये को लाइसेंस
ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान पू.सिंहभूम, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान दुमका, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान कोडरमा, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान धनबाद, सहयोग विलेज बोकारो, सहयोग विलेज गढ़वा, सृजन फाउंडेशन चतरा तथा सृजन फाउंडेशन लोहरदगा. (सरकार तय नियम व शर्तें पूरी करने वाले किसी बाल या शिशु गृह को जांच के बाद बतौर एडॉप्शन एजेंसी लाइसेंस निर्गत करती है)
देश के अंदर झारखंड के 430 बच्चों को गोद लिया गया है
गोद लेने की प्रक्रिया
गोद लिये जाने वाले बच्चे व गोद लेनेवाले अभिभावकों का अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी है. बच्चे व उसके भावी अभिभावकों की सीधी मुलाकात के बदले अब अॉनलाइन मैचिंग का प्रावधान किया गया है. यानी गोद लेने के इच्छुक लोग बच्चे के बारे में सारी जानकारी अॉनलाइन ही ले सकते हैं. किस राज्य से कौन-सा बच्चा गोद लिया जा सकता है, यह निर्णय सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेस अॉथोरिटी (सीएआरए या कारा ) करती है.
पहले यह काम राज्य स्तर पर होता था. गोद लिये जाने वाले बच्चे तथा गोद लेने के इच्छुक लोगों की तसवीरों सहित सभी जानकारी कारा की साइट cara.nic.in पर उपलब्ध है. बच्चे व अभिभावकों का निबंधन भी इसी साइट पर होता है. सरकार किसी बच्चे को देश में ही गोद लेने वाले अभिभावकों के पास भेजने को प्राथमिकता देती है तथा इसके लिए प्रेरित करती है. बच्चों को गोद लेने संबंधी प्रक्रिया तथा इसके लिए तय कानून की निगरानी के लिए ही राष्ट्रीय स्तर पर कारा तथा राज्य स्तर पर स्टेट एडॉप्शन रिसोर्सेस एजेंसी (एसएआरए या सारा) कार्यरत है. झारखंड में सारा का कार्यालय एफएफपी बिल्डिंग स्थित सचिवालय में है.
क्या है गोद लेना
गोद लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उन बच्चों को, जो अपने अभिभावकों से किसी कारणवश (उनकी मृत्यु होने, बच्चे को छोड़ देने या समर्पण कर देने) स्थायी रूप से अलग हो गये हों, उन्हें न्याय संगत (कानूनी) तरीके से नये अभिभावकों को सौंप दिया जाता है. ऐसे अभिभावक उस बच्चे के दत्तक माता-पिता कहलाते हैं. गोद लेने के साथ ही दत्तक अभिभावक को उस बच्चे से जुड़े सभी अधिकार, सुविधाएं व जिम्मेदारियां मिल जाती हैं.
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