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झारखंड : सिफियास कर्मियों ने किया 92 लाख का घोटाला, जानें कैसे करते थे घोटाला

II अमन तिवारी II एटीपी से पैसे निकाल बैंक में कम कराया जमा रांची : सिफियास कंपनी के कर्मियों ने सिल्ली में बिजली बिल जमा कराने के लिए लगायी गयी एटीपी मशीन से रुपये निकाल कर 92 लाख का घोटाला किया है. इसका खुलासा, तब हुआ, जब पुलिस ने जांच के दौरान बैंक में जमा […]

II अमन तिवारी II
एटीपी से पैसे निकाल बैंक में कम कराया जमा
रांची : सिफियास कंपनी के कर्मियों ने सिल्ली में बिजली बिल जमा कराने के लिए लगायी गयी एटीपी मशीन से रुपये निकाल कर 92 लाख का घोटाला किया है. इसका खुलासा, तब हुआ, जब पुलिस ने जांच के दौरान बैंक में जमा कराये गये रुपये और बिजली विभाग को सौंपी गयी बैंक की परची का मिलान किया.
पुलिस ने पाया कि सिफियास एजेंसी के लोग एटीपी मशीन से रुपये निकाले और बैंक में इससे कम राशि जमा की. रुपये जमा कराने के बदले बैंक से मिली परची में छेड़छाड़ कर उसमें अधिक रकम लिख दी.
और बिजली विभाग के पास जमा कर दी. मामले को लेकर विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल टाटीसिलवे के सहायक विद्युत अभियंता अवधेश कुमार की शिकायत पर सिल्ली थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
बिना जानकारी के ही बैंक में जमा करने थे पैसे : सिफियास कंपनी के कर्मियों का काम एटीपी मशीन में उपभोक्ता की ओर से जमा करायी गयी रकम को विभाग के अधिकारी को या बैंक में देना है.
लेकिन कर्मी बिजली विभाग के किसी अधिकारी की जानकारी के बिना बैंक में रुपये जमा कर उसकी अधकटी कैशियर को दे देते थे. इस तरह कंपनी के कर्मियों ने 30 नवंबर 2014 से लेकर नौ नवंबर 2017 के बीच 93,74,109 रुपये कम जमा किये. जब बिजली विभाग के अधिकारियों ने मामले की जानकारी दी, तब एजेंसी की ओर से विभिन्न तिथियों को क्रमश: 7,84,500, 2,00,000 और 1,02,000 रुपये जमा किये गये. शेष राशि जमा नहीं करने पर विद्युत कार्यपालक अभियंता की ओर से 28 नवंबर को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया. इसके बाद विद्युत विभाग ने सिफियास कंपनी के ऑपरेटर रमेश कुमार, प्रकाश महतो, कंपनी के महाप्रबंधक कमलेश कुमार और निदेशक राधाकांत सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी.
कैसे करते थे घोटाला
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, बैंक की परची में छेड़छाड़ कर एजेंसी के कर्मी रुपये में गडबड़ी करते थे. उदाहरण के तौर 31 मार्च 2017 को एजेंसी के कर्मियों ने बैंक में 88,260 रुपये जमा कराये थे. लेकिन परची में इस रकम के आगे छह लिख कर जमा की गयी राशि को 6,88,260 रुपये बना दिया. इस तरह छह लाख की गड़बड़ी की.
तिथि जमा राशि बैंक का रिसीविंग कुल अंतर
01 जून 2015 50630 150630 100000
02 जून 2015 54220 154220 100000
03 जुलाई 2015 70250 370250 300000
19 अगस्त 2015 37140 137140 100000
22 सितंबर 2015 61110 161110 100000
23 सितंबर 2015 68230 168230 100000
16 अक्तूबर 2015 16160 216160 200000
02 नवंबर 2015 14620 214620 200000
04 जनवरी 2016 55080 155080 100000
21 दिसंबर 2015 52300 352300 300000
02 फरवरी 2016 45610 245610 200000
07 फरवरी 2016 23230 223230 200000
03 — 2016 55230 255230 200000
04 — 2016 67880 367880 300000
04 — 2016 56140 256140 200000
05 — 2016 88130 288130 200000
06 — 2016 24680 124680 100000
06 — 2016 30380 130380 100000
06 — 2016 91750 2 91750 200000
07 — 2016 4620 204620 200000
2016 11520 111520 100000
2016 1150 101150 100000
2016 9610 309610 300000
30 अगस्त 2016 69120 269120 200000
01 सितंबर 2016 15280 215280 200000
01 अक्तूबर 2016 62710 262710 200000
01 नवंबर 2016 68750 268750 200000
01 दिसंबर 2016 54810 254810 200000
02 जनवरी 2017 30850 230850 200000
02 फरवरी 2017 51505 151505 100000
01 मार्च 2017 3150 203150 200000
01 मार्च 2017 13230 1 13230 100000
31 मार्च 2017 88260 688260 600000
01 सितंबर 2017 30100 130100 100000
04 सितंबर 2017 10410 410410 400000
16 सितंबर 2017 19160 219160 200000
16 सितंबर 2017 29470 129470 100000
26 सितंबर 2017 54600 254600 200000
27 सितंबर 2017 46950 146950 100000
27 सितंबर 2017 56480 256480 200000
12 अक्तूबर 2017 72200 172200 100000
17 अक्तूबर 2017 46780 246780 200000
18 अक्तूबर 2017 30120 130120 100000
25 अक्तूबर 2017 67030 167030 100000
01 नवंबर 2017 48315 248315 200000
01 नवंबर 2017 97810 497810 400000
03 नवंबर 2017 65550 265550 200000
कम रुपये जमा कर बैंक की परची में ज्यादा लिखा
तीन वर्षों तक होता रहा घोटाला, लेकिन विभाग ने नहीं दिया ध्यान
जिन बिंदुओं पर हो रही जांच
तीन वर्षों तक एटीपी मशीन से रुपये निकला कर गड़बड़ी की जाती रही, लेकिन इस पर बिजली विभाग के अधिकारियों ने क्यों ध्यान नहीं दिया.
रुपये की गड़बड़ी में सिर्फ सिफियास एजेंसी के कर्मी शामिल हैं या एजेंसी के मालिक भी. बिजली विभाग के अधिकारी के संरक्षण में तो पूरा खेल नहीं हुआ.

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