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झारखंड : आठ नये चिल्ड्रेन होम व पांच ओपेन शेल्टर होम को मंजूरी
समेकित बाल सुरक्षा योजना के तहत बच्चों के लिए रिमांड होम, चाइल्ड होम व अोपेन शेल्टर होम संचालित किये जाते हैं रांची : समाज कल्याण विभाग से संबद्ध राज्य बाल संरक्षण संस्था ने अाठ नये चिल्ड्रेन होम व पांच नये शेल्टर होम को मंजूरी दी है. सभी होम गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित […]
समेकित बाल सुरक्षा योजना के तहत बच्चों के लिए रिमांड होम, चाइल्ड होम व अोपेन शेल्टर होम संचालित किये जाते हैं
रांची : समाज कल्याण विभाग से संबद्ध राज्य बाल संरक्षण संस्था ने अाठ नये चिल्ड्रेन होम व पांच नये शेल्टर होम को मंजूरी दी है. सभी होम गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित होंगे.
संस्था की अोर से इन सबको कार्यादेश जारी कर दिया गया है. पहले से 17 ( दो सरकारी) चिल्ड्रेन होम का संचालन हो रहा है. ओपेन शेल्टर होम पहले नहीं थे. इस तरह अब राज्य भर में 25 चिल्ड्रेन होम तथा पांच अोपेन शेल्टर होम हो गये हैं.
समेकित बाल संरक्षण योजना (आइसीपीएस) के तहत बच्चों के लिए रिमांड होम तथा चाइल्ड होम व अोपेन शेल्टर होम संचालित किये जाते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाले नाबालिगों को रिमांड या अॉब्जर्वेशन होम में रखा जाता है. वहीं मुश्किल या लावारिस हालत तथा विषम परिस्थितियों में रह रहे बच्चों के लिए चिल्ड्रेन होम या अोपेन शेल्टर होम का संचालन होता है.
अोपेन शेल्टर होम की सुविधा वैसे बच्चों के लिए है, जो हर रोज सुबह से शाम तक या फिर कुछ दिनों के लिए अपने मां-बाप से अलग होकर जहां-तहां भटकते हैं. मजदूरी या इलाज सहित अन्य कई कारणों से कहीं चले गये गरीब मां-बाप के बच्चों के साथ ऐसा होता है. इस तरह अोपेन शेल्टर होम बच्चों का शॉर्ट स्टे होम तथा चिल्ड्रेन होम लांग स्टे होम है, जहां भोजन व शिक्षा सहित बच्चों की अन्य जरूरतें पूरी की जाती हैं. इधर, दो सरकारी तथा 15 गैर सरकारी क्षेत्र में संचालित चिल्ड्रेन होम में अभी 518 बच्चे रह रहे हैं. वहीं राज्य भर के 10 रिमांड होम में अभी 405 बच्चे हैं.
रिमांड होम में 405 बच्चे
राज्य में कुल 10 रिमांड होम का संचालन सरकार के माध्यम से हो रहा है. इनमें से नौ लड़कों तथा एक (देवघर) लड़कियों के लिए है. अभी (31 दिसंबर 2017) इन सबमें 405 बच्चे रह रहे हैं. रिमांड होम रांची में 85 बच्चे, हजारीबाग में 65, बोकारो में 35, धनबाद में 25, दुमका में 65, सिमडेगा में 20, गुमला में 55, चाईबासा में 20, जमशेदपुर में 25 तथा देवघर में 10 बच्चे हैं.
पुराने चिल्ड्रेन होम में 518 बच्चे
एनजीअो वाले – प्रेमाश्रय नाजरेथ कंपाउंड स्टेशन रोड रांची (53 लड़कियां), विकास भारती गुमला (45 लड़कियां), बालाश्रय महिला समाख्या सोसाइटी हेहल (60 लड़के), समन्वय संस्थान गिरिडीह (10 लड़कियां), भारतीय किसान संघ प.सिंहभूम (27 लड़के), विकास भारती साहेबगंज (12 लड़के), विकास केंद्र हजारीबाग (25 लड़कियां), जनलोक कल्याण परिषद पाकुड़ (19 लड़के), सहयोग विलेज खूंटी (45 लड़के), इंटीग्रेटेड सोशल डेवलपमेंट अॉर्गेनाइजेशन (सात लड़के), सृजन महिला विकास मंच (28 लड़कियां), रूरल अॉर्गेनाइजेशन फॉर सोशल इस्टैब्लिशमेंट (12 लड़के), वात्सल्य धाम रामगढ़ (53 लड़के), सहयोग विलेज सिमडेगा (17 लड़के) तथा सहयोग विलेज सिमडेगा में 15 लड़कियां हैं.
सरकारी क्षेत्र में- चिल्ड्रेन होम जमशेदपुर में 24 लड़के तथा चिल्ड्रेन होम देवघर में 65 लड़कियां.
आठ नये चिल्ड्रेन होम (एनजीअो वाले) – विकास भारती दुमका, सहयोग विलेज बोकारो, सहयोग विलेज गढ़वा, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान दुमका, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान कोडरमा, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान धनबाद, सृजन फाउंडेशन लोहरदगा तथा सृजन फाउंडेशन चतरा.
पांच नये अोपेन शेल्टर होम (एनजीअो वाले) – समग्र समाज उत्थान समिति पू.सिंहभूम, दीया सेवा संस्थान रांची, अाशा रांची, भारतीय किसान संघ दुमका तथा सोसाइटी फॉर रूरल डेवलपमेंट धनबाद.
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