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कम उम्र में मनोराेगी बन रहे हैं युवा : डॉ शेयदा

रांची : मनोचिकित्सक डॉ रूकशेदा शेयदा ने कहा कि कम उम्र में ही युवा मनोरोगी हो रहे हैं. इसकी मूल वजह है अभिभावकों की अपने बच्चों से ज्यादा अपेक्षाएं. प्ले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से हम चाहते हैं कि वह सबसे बेहतर हो जाये. उसे सब आने लगे. इस कारण बच्चे छोटी उम्र में […]

रांची : मनोचिकित्सक डॉ रूकशेदा शेयदा ने कहा कि कम उम्र में ही युवा मनोरोगी हो रहे हैं. इसकी मूल वजह है अभिभावकों की अपने बच्चों से ज्यादा अपेक्षाएं. प्ले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से हम चाहते हैं कि वह सबसे बेहतर हो जाये. उसे सब आने लगे. इस कारण बच्चे छोटी उम्र में ही तनाव से ग्रसित हो जा रहे हैं. डॉ शेयदा रांची में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आयीं थीं. इसी दौरान उन्होंने प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत की.

उन्होंने बताया कि आज के बच्चे तीन साल की उम्र में ही मोबाइल चलाने लगे हैं. अभिभावक भी शौक से उन्हें माेबाइल दे रहे हैं. मोबाइल व टैबलेट में हम कार्टून लगाकर बच्चाें को थमा देते हैं, लेकिन तेजी से भागते इमेज के कारण बच्चों की एकाग्रता प्रभावित हो जाती है. इस बीमारी को एडीएचडी कहते हैं. इससे बच्चों में आक्रामकता बढ़ जाती है. इससे बौद्धिक विकास भी अवरुद्ध होता है. मुंबई में हमारे क्लिनिक में डेढ़ साल के बच्चों को लेकर अभिभावक आते हैं. उनकी शिकायत रहती है बच्चे एक जगह बैठते नहीं हैं. शांत नहीं रहते हैं. हम उन्हें समझाते हैं कि सभी बच्चे एक नहीं होते हैं. उनकी काउंसेलिंग की जाती है.
भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्या :भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्या होती है. इस पर रोक लगाने के लिए प्रीवेंशन प्लान बनाया जाना चाहिए. 14 से 35 वर्ष की उम्र में आत्महत्या ज्यादा होती है. हर 55 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है, लेकिन विडंबना यह है कि सरकार के स्तर से कोई योजना नहीं बनायी जाती है. इसके लिए हेल्प लाइन भी नहीं है. टीबी सहित कई बीमारियों के लिए सरकार योजना बना कर काम कर रही है, लेकिन आत्महत्या पर कुछ भी योजना नहीं है.

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