विडंबना. अप्रैल में शुरू होगा सत्र, अब तक चल रही है टेंडर की ही प्रक्रिया
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बच्चों को किताब देने के लिए तीसरी बार हुआ टेंडर
विडंबना. अप्रैल में शुरू होगा सत्र, अब तक चल रही है टेंडर की ही प्रक्रिया रांची : राज्य में बच्चों की किताब छापने के लिए प्रकाशक नहीं मिल रहे हैं. सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब दी जाती है. कक्षा छह से […]
रांची : राज्य में बच्चों की किताब छापने के लिए प्रकाशक नहीं मिल रहे हैं. सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब दी जाती है. कक्षा छह से आठ के बच्चों को किताब देने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना ने तीसरी बार टेंडर किया है. बच्चों को नि:शुल्क किताब देने के लिए गत वर्ष अगस्त में टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. टेंडर प्रक्रिया शुरू करने के चार माह बाद दूसरा टेंडर किया गया था. दूसरे टेंडर में भी कक्षा छह से आठ के लिए टेंडर फाइनल नहीं हो सका. पहले टेंडर में कक्षा आठ के लिए केवल एक प्रकाशक ने ही आवेदन जमा किया था. कक्षा छह व सात के लिए दो-दो प्रकाशकों ने टेंडर जमा किया था.
किताब आपूर्ति के लिए प्रकाशकों द्वारा जमा टेंडर का रेट भी गत वर्ष की तुलना में काफी अधिक था. कक्षा आठ के लिए मात्र एक निविदा व कुछ कक्षाओं के लिए जमा निविदा की दर अधिक होने के कारण टेंडर रद्द करने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद दूसरे टेंडर में भी कक्षा छह से आठ की किताब छपाई के लिए निविदा देनेवाले प्रकाशकों की संख्या कम थी. इस कारण टेंडर रद्द करना पड़ा. शैक्षणिक सत्र 2018-19 एक अप्रैल से शुरू हाेगा.
ऐसे में अब तक टेंडर फाइनल नहीं होने से बच्चों को समय पर किताब मिलने में मुश्किलों का सामना करना होगा. टेंडर के डेढ़ माह बाद नया सत्र शुरू होगा, जबकि किताब छापने के लिए प्रकाशक को 90 दिन का समय दिया जाता है. कक्षा छह से आठ के लिए टेंडर प्रक्रिया इस माह फाइनल होने की उम्मीद है. ऐसे में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में कक्षा छह से आठ के बच्चों को किताब मिलने में कठिनाई होगी.
मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या के अाधार पर होगी किताब की छपाई
स्कूलों में बनाया जायेगा बुक बैंक, छपाई पर कम होगा खर्च
वर्ग छह से आठ की किताब छापने के लिए नहीं मिल रहे प्रकाशक
परीक्षा के बाद बच्चों से वापस ली जायेगी किताब : कक्षा एक से पांच के बच्चों के किताब वितरण का टेंडर फाइनल हो गया है, पर अब तक वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया गया है. वर्ष 2018-19 में किताब छपाई के लिए मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या को आधार बनाया जायेगा. पूर्व में विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या के आधार पर किताब की छपाई की जाती थी. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इस वर्ष सभी बच्चों से परीक्षा के बाद किताब वापस लेने का निर्देश दिया है. सत्र शुरू होने पर बेहतर स्थिति वाली पुरानी पुस्तक बच्चों को दी जायेगी. इस संबंध में विभाग की ओर से सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
बाजार में नहीं मिलती है किताब : भारत सरकार ने किताब के लिए बच्चों को बैंक खाता में राशि देने को कहा है, पर बाजार में किताब नहीं होने के कारण राशि देने के बाद भी बच्चों को किताब नहीं मिल पायेगी. राज्य में कक्षा एक से अाठ तक की किताब सरकार द्वारा छपवायी जाती है. बच्चों को स्कूलों में किताब उपलब्ध कराया जाता है. राज्य सरकार ने अपना पाठ्यक्रम तैयार किया है. ऐसे में बाजार में किताब की उपलब्धता नहीं होने के कारण डीबीटी के माध्यम से किताब नहीं दी जा सकती है.
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