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15 साल बाद HEC पर फिर गहराया संकट, बचाने के लिए आगे आये झारखंड के 10 सांसद, PM मोदी से हस्तक्षेप की लगायी गुहार
आज भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मिलेंगे सांसद रांची : 15 साल बाद एक बार एचइसी पर पुन: संकट गहरा गया है. अब फिर इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हाे रही है. सरकार के इस फैसले से जहां कर्मियों में हताशा, निराशा आैर आक्राेश है. वहीं श्रमिक संगठनों ने आंदोलन की घोषणा […]
आज भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मिलेंगे सांसद
रांची : 15 साल बाद एक बार एचइसी पर पुन: संकट गहरा गया है. अब फिर इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हाे रही है. सरकार के इस फैसले से जहां कर्मियों में हताशा, निराशा आैर आक्राेश है.
वहीं श्रमिक संगठनों ने आंदोलन की घोषणा कर दी है. एचइसी को बचाने के लिए राज्य के 10 सांसद भी सामने आये हैं. इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी है. सांसद रामटहल चौधरी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर इससे संबंधित ज्ञापन सौंपा. प्रधानमंत्री के बाहर रहने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हो पायी.
श्री चौधरी आैर राज्य के सांसद नौ फरवरी को भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मुलाकात कर एचइसी को बचाने के लिए हस्तक्षेप की मांग करेंगे. प्रधानमंत्री को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि एचइसी एशिया के बड़े प्रतिष्ठानों में से एक है. भारत सरकार, इसे बेचने की बात कह रही है. एचइसी के लिए हजारों गरीबाें व किसानों ने जमीन दी है. कंपनी की हजारों एकड़ जमीन प्रबंधन ने कौड़ी के भाव बेच दिया है. अब भारत सरकार द्वारा कारखाने को बेचने का षडयंत्र किया जा रहा है.
एचइसी के बंद होने से बेरोजगारी बढ़ेगी. सरकार के प्रति जनता का विश्वास खत्म हो जायेगा. अगर भारत सरकार का प्रतिष्ठान बंद हो जायेगा, तो सरकार की बदनामी होगी. उन्होंने एचइसी के आधुनिकीकरण की मांग की.
पत्र में सांसद श्री चाैधरी के अलावा वीडी राम, रवींद्र राय, कड़िया मुंडा, महेश पोद्दार, रवींद्र पांडेय, लक्ष्मण गिलुवा, सुनील सिंह, विद्युत वरण महतो आैर पीएन सिंह ने हस्ताक्षर किया है.
एचइसी पर संकट नया नहीं
एचइसी पर वर्ष 1992 व 2003 में भी संकट आया था. तब इसे बीआइएफआर में भेज दिया गया था. इसके बाद मामला हाइकोर्ट पहुंचा. हाइकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसे केंद्र व राज्य सरकार का पैकेज मिला. पैकेज मिलने के बाद एचइसी की स्थिति में कुछ सुधार हुआ. कंपनी तीन साल फायदे में भी रही. इसके बाद फिर से घाटा होने लगा. एचइसी का आधुनिकीकरण नहीं होने कारण काम पर भी असर पड़ रहा है.
सांसदाें ने कहा
फैसले से बेराेजगारी बढ़ेगी, सरकार के प्रति जनता का विश्वास कम हाे जायेगा
पांच यूनियनों की बैठक कल
एचइसी पर आये संकट को देखते हुए पांच श्रमिक संगठनों ने 10 फरवरी को बैठक बुलायी है. इसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी. इधर सीटू ने 12 फरवरी को केंद्र सरकार के पुतला दहन का कार्यक्रम निर्धारित किया है.
स्मार्ट सिटी पर भी पड़ेगा असर
एचइसी के विनिवेश होने पर सरकार के स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर भी असर पड़ सकता है. एचइसी प्रबंधन ने सरकार को स्मार्ट सिटी के लिए 675 एकड़ जमीन दी है. इसका काम भी शुरू हो गया है. सरकार एचइसी की जमीन पर कई और प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती है.
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