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वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करना था, क्या हुआ : हाइकोर्ट
रांची : हाइकोर्ट में बुधवार को राज्य के वन्य अभारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी. केंद्र सरकार को राज्य के वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने […]
रांची : हाइकोर्ट में बुधवार को राज्य के वन्य अभारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी.
केंद्र सरकार को राज्य के वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. पूछा कि अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है. केंद्र सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से छह मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है. ड्राफ्ट नोटिफिकेशन का प्रकाशन हो चुका है.
मामले में अग्रेतर कार्रवाई जारी है. वहीं राज्य सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने का मामला चतुर्थ स्टेज पर है. वह केंद्र सरकार के पास है. राज्य सरकार ने एक राष्ट्रीय पार्क व नौ वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए मई 2017 में प्रस्ताव भेजा था.
इस मामले में अब केंद्र सरकार के स्तर से कार्रवाई होनी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी महेश राय ने जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि दलमा आश्रयणी इको सेंसेटिव जोन घोषित हो चुका है. 10 अन्य वन्य अभारण्यों को भी इको सेंसेटिव जोन घोषित किया जाना चाहिए.
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