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बकोरिया कांड: एसपी पलामू को नहीं पता था कि हुआ क्या है

II प्रणव II तत्कालीन लातेहार एसपी अजय लिंडा ने सीआइडी को दिया बयान, कहा रांची : पलामू के चर्चित बकोरिया कांड में तत्कालीन लातेहार एसपी अजय लिंडा ने सीआइडी को अपना लिखित बयान दे दिया है. उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा है कि घटना के बाद आधी रात को फोन ड्यूटी ने उन्हें उठाया […]

II प्रणव II
तत्कालीन लातेहार एसपी अजय लिंडा ने सीआइडी को दिया बयान, कहा
रांची : पलामू के चर्चित बकोरिया कांड में तत्कालीन लातेहार एसपी अजय लिंडा ने सीआइडी को अपना लिखित बयान दे दिया है. उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा है कि घटना के बाद आधी रात को फोन ड्यूटी ने उन्हें उठाया था. उसने मुख्यालय बात करने को कहा था. कुछ देर बाद पलामू रेंज के डीआइजी हेमंत टोप्पो से बात हुई. डीआइजी ने मनिका थाना क्षेत्र में किसी तरह की नक्सली घटना होने संबंधी जानकारी मांगी थी. इसके बाद मनिका थाना प्रभारी से बात की, तो उसने अपने क्षेत्र में किसी तरह की नक्सली घटना होने से इनकार कर दिया था.
कुछ देर बाद सीआरपीएफ के तत्कालीन आइजी ने जानकारी दी कि मनिका थाना क्षेत्र में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई है. लेकिन मैंने उन्हें बताया कि मनिका थाना प्रभारी ने अपने क्षेत्र में कोई भी मुठभेड़ की घटना होने से इनकार किया है. तब सीआरपीएफ आइजी ने बताया कि लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र से सटे पलामू क्षेत्र में मुठभेड़ हुई है. आप अपनी फोर्स को सतर्क कर दीजिए और कट-ऑफ लगा दीजिए. इसके बाद मैंने मनिका थाना प्रभारी सहित अन्य को अलर्ट कट-ऑफ लगाने और घटनास्थल का लोकेशन पता करने को कहा था.

अपने लिखित बयान में उन्होंने कहा है कि रात करीब ढाई बजे घटनास्थल पर पहुंचा. वहां पहले से ही तत्कालीन पलामू एसपी कन्हैया मयूर पटेल बैठे थे. उन्हीं के पास जाकर बैठ गया और उनसे पूछा कि क्या हुआ है सर? उन्होंने बताया था कि उन्हें भी अभी मालूम नहीं है.

एक लाइन से पड़ी हुई थी शव : एसपी अजय लिंडा ने अपने लिखित बयान में कहा है कि उजाला होने के बाद घटनास्थल पर गये, तो देखा कि एक लाइन से बहुत सारे शव पड़े थे.

बगल में एक गाड़ी क्षतिग्रस्त हालत में पड़ी हुई थी. घटनास्थल पर तत्कालीन आइजी, तत्कालीन डीआइजी और तत्कालीन सीआरपीएफ डीआइजी भी थे. बाद में पुलिस मुख्यालय से डीजी और अन्य वरीय अधिकारीगण घटनास्थल पर पहुंचे और मुठभेड़ में शामिल अधिकारियों व जवानों को वहीं पर पुरस्कृत किया. इसके बाद शाम में वे मुख्यालय लौट आये.

तत्कालीन डीआइजी व पलामू सदर थाने के प्रभारी ने भी मुठभेड़ की जानकारी होने से किया था इनकारपूर्व में दिये बयान में पलामू के तत्कालीन डीआइजी हेमंत टोप्पो आैर पलामू सदर थाने के तत्कालीन प्रभारी हरीश पाठक ने भी अपने बयान में कहा था कि उनलोगों को भी मुठभेड़ के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. डीआइजी ने कहा था कि रात एक बजे डीजीपी ने उन्हें फोन कर मुठभेड़ की जानकारी दी थी.

इसके बाद उन्होंने पलामू और लातेहार एसपी से बात की, लेकिन दोनों ने मुठभेड़ की जानकारी से इनकार किया था. इंस्पेक्टर हरीश पाठक ने भी कहा था कि उन्हें भी मुठभेड़ की जानकारी नहीं थी. पलामू एसपी ने उन्हें रात ढाई बजे एक दंडाधिकारी को मौके वारदात पर ले जाने को कहा था. वारदात में 12 लोग मारे गये थे.

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