II डॉ मनीष रंजन II
कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को सुनिश्चित करने वाला विस्तृत, ऐतिहासिक और दूरगामी बजट के रूप में 2018–19 के केंद्रीय आम बजट को देखा जा सकता है.
प्रत्येक वर्ष बजट को केवल इनकम टैक्स के दरों में कमी एवं स्लैब में बढ़ोतरी से जोड़ कर और इसी आधार पर उन्हें ड्रीम बजट जैसे शब्दों से नवाजा जाता है लेकिन अब वक्त की यह पुकार है कि राष्ट्र के बजट के विश्लेषण को संपूर्णता प्रदान की जाये. राष्ट्र सशक्त तभी हो सकता है जब बजट 125 करोड़ निवासियों को आर्थिक रूप से संबल बनाने का प्रयास करे न कि केवल उन 8 प्रतिशत आयकर दाताओं को.
झारखंड राज्य की अर्थव्यवस्था मूल रूप से कृषि पर आधारित है जहां दो-तिहाई जनसंख्या कृषि एवं उससे संबंधित व्यवसायों से जुड़ी हुई है. इस बजट में रबी की ही तरह खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके उत्पादन लागत से डेढ़ गुना किया जा रहा है.
साथ ही सरकार ने कृषि कर्ज की सीमा 11 लाख करोड़ रुपये कर दी है जिससे लघु एवं सीमांत किसानों के लिए कर्ज की उपलब्धता अधिक रहेगी एवं सूदखोरों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी. सरकार द्वारा आलू, प्याज, टमाटर की कीमतों के उतार–चढ़ाव से बचाने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये का फंड आवंटित कर ऑपरेशन ग्रीन प्रारंभ किया जा रहा है. किसानों से जुड़े उत्पाद बनानेवाली सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को पांच वर्षों तक टैक्स में सौ प्रतिशत छूट का प्रावधान है. मोमेंटम झारखंड के अंतर्गत झारखंड में निवेश करने वाली कृषि आधारित कंपनियों को इस बजट से नवीन आर्थिक ऊर्जा प्राप्त होगी.
आदिवासी बाहुल्य प्रखंडों में उच्च गुणवत्ता वाले आवासीय एकलव्य विद्यालयों की स्थापना से झारखंड की नई पीढ़ी लाभान्वित होगी. प्री नर्सरी से बारहवीं तक की शिक्षा हेतु एक ही नियम का लागू होना, शिक्षकों की क्वालिटी को सुनिश्चित करना, एकीकृत बीएड कार्यक्रम की शुरुआत, ब्लैक बोर्ड से डिजिटल बोर्ड पर शिक्षा, प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप प्रोग्राम, लगभग 70 लाख युवाओं के लिए रोजगार एवं पचास लाख युवाओं को प्रशिक्षण देने का प्रावधान दूरगामी प्रभाव उत्पन्न करता प्रतीत होता है. जनजातीय समाज के विकास के लिए 39135 करोड़ रुपये के आवंटन से झारखंड की जनता की जिंदगी में निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन दृष्टिपथ होगा.
‘खूब खेलो इंडिया’ प्रोजेक्ट में अधिक निवेश के साथ खेल बजट को भी पिछले वर्ष की तुलना में 1938 करोड़ से 2196 करोड़ किया गया है. झारखंड की नई पीढ़ी जिसने खेल के जगत में पूरे देश में अपना परचम लहराया है, इस आवंटन से निश्चित रूप राष्ट्र के सपनों को साकार करेगी.
(लेखक खूंटी के उपायुक्त हैं और यह व्यक्तिगत विचार है)