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महेश पोद्दार का सुझाव, झारखंड का खीरा बन सकता है विदेशी मुद्रा कमानेवाला हीरा
रांची : झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने राज्य सरकार को गर्किन की खेती शुरू कराने और इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया है. गर्किन खीरे की एक प्रजाति है, जो आकार में छोटा होता है और जिसकी विदेशों में अच्छी-खासी मांग है. श्री पोद्दार ने कृषि मंत्री रणधीर सिंह को पत्र […]
रांची : झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने राज्य सरकार को गर्किन की खेती शुरू कराने और इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया है. गर्किन खीरे की एक प्रजाति है, जो आकार में छोटा होता है और जिसकी विदेशों में अच्छी-खासी मांग है. श्री पोद्दार ने कृषि मंत्री रणधीर सिंह को पत्र लिख कर यह सुझाव दिया है.
पत्र में श्री पोद्दार ने कहा है कि पिछले दिनों सदन में उन्हें यह जानकारी मिली कि छोटा खीरा (गर्किन) भारत के दक्षिणी राज्यों में उगायी जानेवाली निर्यातोन्मुखी फसल है. गर्किन की खेती की शुरुआत 1990 के पूर्वार्द्ध में कर्नाटक में हुई और धीरे-धीरे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में भी गर्किन की खेती की जाने लगी. भारत ने वर्ष 2016-17 के दौरान संयुक्त राज्यअमेरिका, बेल्जियम, रूस, फ्रांस और स्पेन को 942.72 करोड़ रुपये के 180820.87 मीट्रिक टन बड़े खीरे और गर्किन का निर्यात किया.
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 (अप्रैल- सितंबर) के दौरान गर्किन के निर्यात में इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष (2016-17) की तुलना में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. झारखंड में भी बड़े पैमाने पर सब्जियों विशेषकर खीरे की खेती होती है.
अगर राज्य सरकार स्पष्ट नीति और समयबद्ध कार्यक्रम के तहत यहां गर्किन की वैज्ञानिक व निर्यातोन्मुख खेती को बढ़ावा दे, तो यह न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प के अनुरूप किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सार्थक कदम होगा, अपितु राज्य व देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति का अभिनव स्रोत भी प्राप्त होगा.
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