तीन या चार को िदल्ली जाकर मोदी व अमित शाह से िमलेंगे
रांची : संसदीय कार्य और खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय मंत्रिमंडल से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं. वह विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने से आहत हैं. फिलहाल उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर संसदीय कार्य मंत्री के पद से मुक्त करने का आग्रह किया है.
सूत्रों के अनुसार, सरयू राय पार्टी के आला नेताओं से मिल कर खुद को मंत्रिमंडल से हटाने का आग्रह करेंगे. सूचना है कि वह तीन या चार फरवरी को दिल्ली जायेंगे. वहां पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं. बताया जाता है कि सरयू राय सरकार के अंदर संवादहीनता की स्थिति को लेकर नाराज हैं. उनके नजदीकी लोगों के मुताबिक, कई अहम मुद्दों पर सरकार के अंदर चर्चा नहीं हो रही, इससे वह नाखुश हैं.
विधानसभा को चलाने के मुद्दे पर रास्ता नहीं निकालने की स्थिति पर वह बतौर संसदीय कार्य मंत्री खुद को जवाबदेह मान रहे हैं. सरकार के अंदर भी विधानसभा में गतिरोध को लेकर चर्चा नहीं हुई. उन्होंने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को लेकर छह माह पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कार्रवाई की मांग की थी. पर इस मुद्दे पर भी उनसे कोई बातचीत नहीं हुई. खबर है कि सरयू राय इन सारी परिस्थितियों से आला नेताओं को अवगत करायेंगे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष अगस्त में भी उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराया था.
विधानसभा नहीं चलने से हैं आहत
विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद बोले सरयू राय
सत्र सूली पर चढ़ा, दायित्व नहीं निभा पा रहा
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद मंत्री सरयू राय ने कहा : संसदीय कार्य मंत्री के दायित्व से मुक्त करने को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इसके बाद मुख्यमंत्री से कोई बातचीत नहीं हुई है.
पिछले दो साल से सदन सुचारु रूप से नहीं चल रहा है. संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी होती है कि सदन सुचारु रूप से चले. मैंने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. मंगलवार को सदन में कम समय के लिए उपस्थित रहने के सवाल पर उन्होंने कहा : सदन में संसदीय कार्य मंत्री के बैठने का निश्चित स्थान होता है.
वह मुख्यमंत्री के बगल में होता है. मैंने कहा है कि संसदीय कार्य मंत्री नहीं रहना चाहता हूं, तो निश्चित रूप से दूसरे स्थान पर बैठना होगा. उन्होंने कहा : मैंने अपनी जिम्मेदारी ली. हर व्यक्ति जो किसी पद पर है, उसको दायित्व का आकलन करना चाहिए. मैंने महसूस किया कि अपना दायित्व सही ढंग से निष्पादित नहीं कर पा रहा हूं. नहीं तो विधानसभा चलती. हम पूरे बजट सत्र को सूली पर चढ़ा कर चुप नहीं रह सकते.
यह पूछे जाने पर कि आपने पहले भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, कहीं कार्रवाई नहीं होने पर तो ऐसा निर्णय नहीं लिया, उन्होंने कहा : मैंने मुख्यमंत्री को दो पत्र लिखे थे. एक मामले में स्पष्टीकरण पूछा गया. दूसरे में जांच का आदेश दिया गया. यह संतोष का बड़ा कारण है. सरकार और मुख्यमंत्री ने कार्रवाई की है. मेरा विषय पूरा हो गया. जहां तक स्पष्टीकरण का सवाल है या फिर जांच का, इसका क्या फलाफल आयेगा, इस पर मुख्यमंत्री व सरकार को निर्णय लेना है.
लोकलाज से भी चलता है लोकतंत्र
उन्होंने कहा : लोकतंत्र केवल बहुमत से नहीं, लोकलाज से चलता है. इसके प्रति हमें सचेत रहना चाहिए. सदन सुचारु रूप से नहीं चल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है. जब विधानसभा भंग रहती है या राष्ट्रपति शासन रहता है, तब संसद बजट पास करने का काम कर ही देती है. अगर सर्वोच्च संस्था पंगु व मजबूर हो जाये, तो जिसे अधिकृत किया गया है, उसे जिम्मेवारी लेनी चाहिए. यह पूछे जाने पर क्या आप मंत्री पद से भी इस्तीफा दे देंगे? इस पर उन्होंने कहा कि अगर आप चाहें तो मैं आपको निराश नहीं करूंगा.
दिखी नाराजगी, अपनी सीट पर नहीं बैठे मंत्री कार्यालय में रहे
संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय की नाराजगी मंगलवार को खुल कर सामने आयी. वह दिन भर विधानसभा में अपनी सीट पर नहीं बैठे. अमूमन सत्र के दौरान सदन के अंदर लगातार उपस्थित रहते हैं.
मंगलवार को दिन के 11 बजे सत्र शुरू हुआ, तो वह थोड़ी देर के लिए बैठे. इसके बाद उठ कर अपने कार्यालय कक्ष में चले गये. मंगलवार को विधानसभा से बजट पारित होना था. सरयू राय द्वितीय पाली में भी अपनी सीट पर नहीं पहुंचे. हालांकि वह लगातार विधानसभा परिसर में मौजूद थे. अपने कार्यालय कक्ष में ही बैठे रहे़