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झारखंड : बचपन से बुलू-पापा के म्यूजिक की दीवानी हूं : महुआ माजी
महुआ माजी बुलू पापा झारखंड के म्यूजिक की जान थे. मैं उनके म्यूजिक की दीवानी थी. बचपन से ही उनके वाद्ययंत्रों की धुन सुनती आयी हूं. स्कूल में पढ़ने के दाैरान ही उनके संगीत को सुना करती थी. वह हमारे पड़ोसी थे, इसलिए अक्सर उनके संगीत को सुनने का मौका मिला. झारखंड के युवा कलाकारों […]
महुआ माजी
बुलू पापा झारखंड के म्यूजिक की जान थे. मैं उनके म्यूजिक की दीवानी थी. बचपन से ही उनके वाद्ययंत्रों की धुन सुनती आयी हूं. स्कूल में पढ़ने के दाैरान ही उनके संगीत को सुना करती थी. वह हमारे पड़ोसी थे, इसलिए अक्सर उनके संगीत को सुनने का मौका मिला. झारखंड के युवा कलाकारों को उनसे काफी कुछ सीखने को मिला. संगीत ही उनका जीवन था. किसी जमाने में उनका आर्केस्ट्रा ग्रुप रांची में प्रसिद्ध था. उनके सिखाये कलाकार आज संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं.
मुझे याद है कि दूर-दराज से लोग उनको अपने क्षेत्र में संगीत कार्यक्रम मेंं लेकर जाते थे. जिस कार्यक्रम में बुलू पापा के आने की सूचना होती थी, संगीत प्रेमी खिंचे चले आते थे.
उनके छात्र उन्हें अपने माता-पिता की तरह आदर देते थे. मेरे घर से उनका पारिवारिक रिश्ता था. विगत सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उनकी पत्नी गीत प्रस्तुत कर रही थी. एक कलाकार गिटार बजा रहा था. दमादम मस्त कलंदर गीत चल रहा था. अचानक बुल्लू दा स्टेज पर आकर गिटार बजा रहे कलाकार से वाद्ययंत्र लेकर खुद बजाने लगे. संगीत का यह प्रेम उनमें देखने लायक था.लेखिका जानी-मानी साहित्यकार व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हैं.
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