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झारखंड : इंटर साइंस में 10 साल में सात बार फेल हो गये आधे परीक्षार्थी

उदासीनता. अंगीभूत कॉलेजों से अलग नहीं हुई इंटरमीडिएट की पढ़ाई स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की कमेटी ने भी पढ़ाई अलग करने की अनुशंसा की थी रांची : राज्य में इंटरमीडिएट साइंस में प्रति वर्ष लगभग आधे परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं. पिछले दस वर्ष में सात बार आधे परीक्षार्थी फेल हो गये. गत दस […]

उदासीनता. अंगीभूत कॉलेजों से अलग नहीं हुई इंटरमीडिएट की पढ़ाई
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की कमेटी ने भी पढ़ाई अलग करने की अनुशंसा की थी
रांची : राज्य में इंटरमीडिएट साइंस में प्रति वर्ष लगभग आधे परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं. पिछले दस वर्ष में सात बार आधे परीक्षार्थी फेल हो गये. गत दस वर्ष में वर्ष 2015 में इंटर साइंस का रिजल्ट सबसे बेहतर हुआ. वर्ष 2015 में 63.88 फीसदी परीक्षार्थी सफल हुए. जबकि सबसे खराब रिजल्ट वर्ष 2010 में रहा. 2010 में मात्र 30.33 फीसदी परीक्षार्थी ही परीक्षा में सफल हो सके थे.
राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई का सिस्टम ही फेल है. यूजीसी के आदेश के बाद भी अंगीभूत कॉलेजोंसे अब तक इंटर की पढ़ाई अलग नहीं हुई. अंगीभूत कॉलेजों में इंटर के पूरे पाठ्यक्रम की पढ़ाई नहीं हो पाती है. राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में यूजीसी व विश्वविद्यालय एक्ट की अनदेखी कर इंटरमीडिएट की पढ़ाई हो रही है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. यूजीसी का निर्देश है कि कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग की जाये.
विश्वविद्यालय एक्ट में भी अंगीभूत कॉलेज में इंटर की पढ़ाई नहीं होने का प्रावधान है. अंगीभूत कॉलेज विश्वविद्यालय के अधीन संचालित होते हैं, पर विवि इन कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई की कोई जवाबदेही नहीं लेता. राज्य के 65 अंगीभूत कॉलेज में से लगभग 55 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई होती है. इन कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई की अलग व्यवस्था नहीं है.
कुछ कॉलेजों में पढ़ाई के लिए घंटी आधारित शिक्षक रखे गये हैं, पर वहां भी इंटर सेक्शन का संचालन अंगीभूत कॉलेज के प्राचार्य की देखरेख में होता है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शिक्षकों को छठा वेतनमान देने के समय यह शर्त रखी गयी थी कि डिग्री कॉलेज के शिक्षक इंटरमीडिएट की कक्षा नहीं लेंगे.
वर्ष 2015 में सबसे बेहतर 63.88 व वर्ष 2010 में सबसे खराब 30.33 फीसदी रिजल्ट
वर्ष रिजल्ट %
2006 43.09
2007 45.11
2008 50.29
2009 50.39
2010 30.33
2011 33.70
2012 48.37
2013 38.28
2014 63.65
2015 63.88
2016 58.36
विभागीय कमेटी ने भी की थी अनुशंसा
इंटरमीडिएट के रिजल्ट खराब होने के कारणों की जांच के लिए स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा कमेटी गठित की गयी थी. कमेटी ने भी राज्य के डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग करने की अनुशंसा की थी. इस आलोक में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा झारखंड एकेडमिक काउंसिल को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया था. इस संबंध में काेई कार्रवाई नहीं गयी.
कॉलेजों में पूरा नहीं होता है पाठ्यक्रम
विश्वविद्यालय में लागू पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए वर्ष में 180 दिन की पढ़ाई अनिवार्य है. इंटर का पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए वर्ष में कम से कम 220 दिन की पढ़ाई होनी चाहिए. अंगीभूत कॉलेजों में विश्वविद्यालय की परीक्षा, उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन को लेकर भी कक्षा प्रभावित होती है. इसके अलावा विवि के अवकाश का कैलेंडर स्कूलों से अलग होता है.
ऐसे में अंगीभूत कॉलेजों में इंटर का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता है. इससे रिजल्ट प्रभावित होता है. जैक द्वारा कराये गये एक सर्वे में पाया गया कि डिग्री कॉलेजों में सौ दिन भी इंटर की पढ़ाई नहीं होती.

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