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सात सौ मेगावाट न्यूक्लियर पावर प्लांट के विभिन्न उपकरणों का निर्माण होगा

सिनेटमास के सहयोग से एचइसी में कॉमन इंजीनियरिंग फैसिलिटी सेंटर खोला जायेगा एचइसी तीन, चार, पांच व छह नंबर के न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए उपकरण बनायेगा न्यूक्लियर पावर रिएक्टर के लिए उपकरण मेक इन इंडिया की तर्ज पर तैयार किया जायेगा बड़ी कंपनियां भी झारखंड में कर सकती हैं आपूर्ति सरकार बना रही मेक इन […]

सिनेटमास के सहयोग से एचइसी में कॉमन इंजीनियरिंग फैसिलिटी सेंटर खोला जायेगा

एचइसी तीन, चार, पांच व छह नंबर के न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए उपकरण बनायेगा
न्यूक्लियर पावर रिएक्टर के लिए उपकरण मेक इन इंडिया की तर्ज पर तैयार किया जायेगा
बड़ी कंपनियां भी झारखंड में कर सकती हैं आपूर्ति
सरकार बना रही मेक इन झारखंड नीति
रांची : झारखंड में ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगे. उद्यमी झारखंड में निवेश के लिए आकर्षित हों. इसके लिए झारखंड सरकार मेक इन झारखंड नीति बना रही है. इस नीति के तहत जो भी कंपनी झारखंड सरकार को अपने उत्पादों की आपूर्ति करना चाहती है, तो उसे पहले झारखंड में यूनिट लगानी होगी. ऐसा करने पर निविदा में उक्त कंपनी को 20 प्रतिशत तक की छूट दी जा सकती है. यानी प्राक्कलित राशि से दर 20 प्रतिशत अधिक रहने पर भी उक्त कंपनी को प्राथमिकता दी जायेगी, जो झारखंड में उत्पादन करती है. यूनिट न होने की स्थिति में कोई कंपनी यदि झारखंड की किसी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर में काम कर रही है, तो इस स्थिति में भी उक्त कंपनी को प्राथमिकता दी जायेगी.
लोकल असेंबलिंग यूनिट को भी प्राथमिकता
मेक इन झारखंड पॉलिसी में वैसी कंपनियों को भी प्राथमिकता दी जायेगी, जिनका भले ही कारखाना झारखंड में न हो. पर वे अपने पार्टस की असेंबलिंग यदि झारखंड में कराते हैं, तो ऐसी स्थिति में उन्हें प्राथमिकता दी जायेगी. खासकर मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को. यदि सड़क या भवन निर्माण वाली कंपनी झारखंड में निविदा में भाग लेती है, तो उक्त कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय या तो झारखंड में होना चाहिए या फिर झारखंड में उनका अधिकृत कार्यालय होना चाहिए. ऐसी स्थिति में भी सड़क या भवन निर्माण करनेवाली कंपनियों को टेंडर में प्राथमिकता दी जायेगी.
परचेज पॉलिसी नीति में समाहित होगी
राज्य सरकार द्वारा पूर्व से बनायी गयी परचेज पॉलिसी या प्रोक्योरेमेंट पॉलिसी को इसी मेक इन झारखंड में समाहित कर दिया जायेगा. यानी स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता देने संबंधी सारे प्रावधान अब मेक इन झारखंड पॉलिसी में होगी. सूत्रों ने बताया कि तब अलग से प्रोक्योरेमेंट पॉलिसी की जरूरत नहीं रह जायेगी.
झारखंड में यूनिट लगाने या ज्वाइंट वेंचर करने पर टेंडर में 20 प्रतिशत तक की छूट
कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय झारखंड में होना चाहिए या फिर उनका अधिकृत कार्यालय
सड़क या भवन निर्माण करनेवाली कंपनियों को मिलेगी प्राथमिकता
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार छोटे व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दे रही है. राज्य में उद्योगपतियों को अाकर्षित करने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं. इसके साथ ही राज्य में पहले से चल रहे उद्योगों की समस्या को भी जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उद्यमियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का शीघ्र निदान करें. इससे उद्योग को भी लाभ होगा और राज्य को भी.
श्री दास ने ये बातें शनिवार को झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (जियाडा) के निदेशक मंडल की बैठक में कही. कहा कि उद्योगों से संबंधित समस्याओं को बोर्ड के समक्ष रखें, ताकि जल्द से जल्द निदान किया जा सके. बैठक में वेंचर कैपिटल फंड, ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर ऑफ एक्सपोर्ट स्कीम, आदित्यपुर प्रक्षेत्र के सातवें चरण के समीप भूमि को अनारक्षित करने समेत अन्य मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी.
बैठक में विकास आयुक्त अमित खरे, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, उद्योग सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, स्वतंत्र निदेशक सत्येंद्र कुमार और उदय भान नारायण सिंह, उद्योग निदेशक के रवि कुमार, जियाडा के सचिव सुनील कुमार उपस्थित थे.

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