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झारखंड : कैंसर से सबसे ज्यादा मौतें, डॉक्टरों की बढ़ी जिम्मेदारी : द्रौपदी मुर्मू

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. मौतों की संख्या सबसे ज्यादा कैंसर रोगियों में ही होती है. लेकिन मेडिकल साइंस में तेजी से विकास हुआ है. नये-नये शोध हो रहे हैं. जांच के नयी तकनीकें ईजाद हो रही है. हिस्टो एंड साइटो पैथोलॉजी […]

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. मौतों की संख्या सबसे ज्यादा कैंसर रोगियों में ही होती है. लेकिन मेडिकल साइंस में तेजी से विकास हुआ है. नये-नये शोध हो रहे हैं.
जांच के नयी तकनीकें ईजाद हो रही है. हिस्टो एंड साइटो पैथोलॉजी के इस सेमिनार से राज्य के डॉक्टरों को लाभ मिलेगा. देश-विदेश से अाये डॉक्टर अपने जानकारी का आदान प्रदान करेंगे, तो मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी. वह शुक्रवार को साउथ एशियन एकेडमी आॅफ साइटो पैथोलाॅजी एंड हिस्टोपैथोलॉजी के छठे वार्षिक सम्मेलन का विधिवत उदघाटन कार्यक्रम में बोल रही थीं.
उन्होंने कहा कि हम भगवान पर विश्वास करते हैं. धरती पर जीवन देने का का काम हमारे डॉक्टर करते हैं, इसलिए उन्हें धरती का भगवान कहा जाता है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में काफी बदलाव हुआ है. सरकार भी आम आदमी तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में लगी हुई है. स्वास्थ्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे अायोजन ही मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को भी लाभ होता है. कुलपति डॉ रमेश पांडेय ने कहा कि सेमिनार के माध्यम से नये-नये शोध की जानकारी होती है. रिम्स निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य के लिए गौरव की बात है कि एसोसिएशन का सेमिनार रिम्स में हो रहा है. मौके पर डॉ आर मंडल, डॉ मो. कमाल, डॉ आरके सिंह सहित रिम्स के डॉक्टर व मेडिकल स्टूडेंट शामिल थे.
गले की हर गांठ कैंसर नहीं होती, इसलिए जरूरी नहीं एफएनएसी जांच : डाॅ लाखे
रांची. नेपाल के कठमांडु मेडिकल कॉलेज से आयी पैथोलॉजिस्ट डॉ ममता लाखे ने कहा कि थायराइड आम समस्या हो गयी है, लेकिन कई बार इसमें गांठ (ट्यूमर) की समस्या हो जाती है. गले में गांठ हो, तो जांच अवश्य करायें, क्योंकि कई बार यह कैंसर का रूप ले लेता है. हालांकि, हर गांठ कैंसर नहीं होता है. इसे वेनाइन ट्यूमर करते है. डॉक्टर कई बार हर गांठ में एफएनएसी लिख देते है, लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं होती है. वह शुक्रवार को रिम्स के ऑडिटोरियम में आयाेजित साउथ एशियन एकेडमी आॅफ साइटो पैथोलाॅजी एंड हिस्टोपैथोलॉजी के छठे वार्षिक सम्मेलन में बोल रही थीं. डॉ लाखे ने कहा कि 70 फीसदी गांठ में एफएनएसी जांच की आवश्यकता नहीं होती है.
गांठ कैसा है और क्यों हुआ है, इसके लिए आजकल कई तरह की जांच की सुविधा है. ब्लड टेस्ट के अलावा अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भी ट्यूमर का पता किया जा सकता है. डॉ जे रहमान ने बताया कि एग्नोज जांच नयी स्क्रीनिंग की नयी तकनीक है, जिसके माध्यम से गांठ के एनाटोमी व फिजियोलॉजी का पता किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एग्नोज पद्धति में स्लाइड के माध्यम द्वारा जांच की जाती है. इसमें 90 फीसदी तक जानकारी मिल जाती है. कार्यक्रम में रिम्स के अलावा देश-विदेश के प्रसिद्ध पैथोलॉजिस्ट शामिल हुए हैं. आयोजन को सफल बनाने में चेयरपर्सन डॉ आरके श्रीवास्तव एवं आयोजन समिति के सचिव डाॅ आरके सिंह सहित के सभी पैथोलॉजिस्ट शामिल हुए.

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