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किन परिस्थितियों में 6000 वसूले, 24 घंटे में जवाब दें

राजस्थान कलेवालय प्रकरण. पहली नजर में दोषी मिले तीन इंफोर्समेंट अफसर रांची : राजस्थान कलेवालय प्रकरण में रांची नगर निगम के तीनों इंफोर्समेंट अफसरों को भेजे गये कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए नगर आयुक्त ने 24 घंटे का वक्त दिया है. नोटिस में इंफोर्समेंट अफसरों को कहा गया है कि अपर नगर […]

राजस्थान कलेवालय प्रकरण. पहली नजर में दोषी मिले तीन इंफोर्समेंट अफसर
रांची : राजस्थान कलेवालय प्रकरण में रांची नगर निगम के तीनों इंफोर्समेंट अफसरों को भेजे गये कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए नगर आयुक्त ने 24 घंटे का वक्त दिया है.
नोटिस में इंफोर्समेंट अफसरों को कहा गया है कि अपर नगर आयुक्त की जांच रिपोर्ट और राजस्थान कलेवालय से प्राप्त हुए सीसीटीवी फुटेज को देखने से प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित होता है कि आपने अवैध रूप से 6000 रुपये की वसूली की है. इसलिए 24 घंटे के अंदर यह स्पष्ट करें कि किन परिस्थितियों में अापने उक्त राशि वसूली है. यह भी बतायें कि क्यों नहीं इस संबंध में आप पर कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाये. 24 घंटे के अंदर अगर अापका स्पष्टीकरण नहीं मिलता है, तो समझा जायेगा कि इस संबंध में आपको कुछ नहीं कहना है. ऐसे में आपके ऊपर में लगाये गये सारे आरोप सत्य माने जायेंगे. साथ ही इसके एवज में रांची नगर निगम आपके विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा.
यह है पूरा मामला
नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसरों का दल 16 जनवरी को सुबह 10.30 बजे लालपुर चौक स्थित होटल राजस्थान कलेवालय में पॉलिथीन जांच के लिए पहुंचा था. जांच में होटल में कैरीबैग के 10 बंडल मिले थे. आरोप है कि इंफोर्समेंट अफसरों ने इस मामले को रफादफा करने के लिए होटल के संचालक श्रीराम शर्मा से 6000 रुपये वसूल लिये. जब दुकानदार ने इसकी शिकायत चेंबर के पदाधिकारियों से की, तो दोपहर 2:30 बजे नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसर वापस दुकान में आये और होटल संचालक को 6000 रुपये जुर्माने की रसीद सौंप कर चले गये.
जिस पॉलिथीन के लिए जुर्माना किया, वह भी प्रतिबंधित की श्रेणी में नहीं
इधर, जिस कैरीबैग को पॉलिथीन बताकर रांची नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम ने होटल राजस्थान कलेवालय में छापेमारी की थी, उस पर सवाल उठ रहे हैं. होटल के संचालक की मानें, तो उनकी दुकान में जीएक्सटी ग्रीन इकोग्रेड बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. वह प्लास्टिक नहीं है.
यह 240 दिनों में मिट्टी या वैसे भी नष्ट हो जाता है. इस बैग पर देश के किसी भी राज्य में बैन नहीं है. जब इंफोर्समेंट अफसर छापेमारी करने पहुंचे थे, तब भी होटल संचालक ने उन्हें सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलोजी (सिपेट) का प्रमाण-पत्र और स्वायल कंट्रोल लैब का प्रमाण पत्र दिया था. इसके बावजूद उनसे जुर्माना लिया गया.

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