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झारखंड : एक ही टैग नंबर की गाय दे दी गयी दो-दो लाभुकों को

एजी की रिपोर्ट : गरीबों के बीच गाय वितरण योजना में घोटाला शकील अख्तर रांची : गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए शुरू की गयी गाय वितरण योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. अलग-अलग लोगों को एक ही टैग नंबर की गाय दे दी गयी है. सिर्फ रांची में […]

एजी की रिपोर्ट : गरीबों के बीच गाय वितरण योजना में घोटाला
शकील अख्तर
रांची : गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए शुरू की गयी गाय वितरण योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. अलग-अलग लोगों को एक ही टैग नंबर की गाय दे दी गयी है.
सिर्फ रांची में ही इस तरह के दर्जन भर से अधिक मामले पकड़ में आये हैं. 1760 लाभुकों के पैसे नेशनलाइज बैंक के बदले अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए एचडीएफसी बैंक को दे दिया गया. इस कारण कई लाभुकों को इस बैंक में खाता खुलवाना पड़ा. योजना के तहत सिर्फ महिलाओं को ही गाय दी जानी थी. पर पुरुषों को भी गाय दे दी गयी. महालेखाकार (एजी) ने नमूना जांच के दौरान इस तरह की गड़बड़ी को पकड़ा है. सरकार को इससे संबंधित रिपोर्ट भी भेजी है.
रांची में लक्ष्य 3000, पर 2992 लाभुक ही चयनित : रिपोर्ट में कहा गया है कि रांची में दर्जन भर से अधिक लोगों को एक ही टैग नंबर की गाय दी गयी है. लाभुकों की सूची, गाय खरीद से जुड़े दस्तावेज और परचेज कमेटी की रिपोर्ट के विश्लेषण से इस बात का खुलासा हुआ. भौतिक सत्यापन के दौरान भी इन गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के दौरान पाया गया कि सरकार ने रांची में तीन हजार लाभुकों के बीच गाय बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया था. एक फरवरी को लक्ष्य निर्धारित करने के बाद सरकार ने नौ फरवरी तक चुने गये सभी लाभुकों के खाते में अनुदान की राशि देने का निर्देश दिया.
रांची के उपायुक्त ने 3000 के लक्ष्य के मुकाबले 2992 लाभुकों का चयन किया. हालांकि निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी ने कुल तीन हजार लाभुकों के लिए 17.87 करोड़ रुपये अनुदान की राशि विमुक्त कर दी. इस तरह आठ लाभुकों का बिना चयन किये ही उन्हें दी जानेवाली अनुदान की राशि बैंकों को विमुक्त कर दी गयी. अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उन 10 बैंक शाखाओं में अनुदान की राशि भेज दी, जिनमें लाभुकों के खाते ही नहीं थे.
दूसरे बैंक में खाता खोलने को मजबूर होना पड़ा : योजना के दूसरे चरण में भी अधिकारियों ने बैंक को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए 1760 लाभुकों को दी जानेवाली राशि एचडीएफसी बैंक को दे दी. इससे लाभुकों को इस बैंक में भी खाता खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि रांची जिले में निर्धारित 3000 लाभुकों में से सिर्फ 2372 ने ही गाय खरीदी. 628 लाभुकों ने गाय ही नहीं खरीदी. इनमें 237 लाभुकों ने दूसरे बैंकों में खाता ही नहीं खोला.
जहां खाता नहीं, उस बैंक में भी दे दिया लाभुकों काे पैसा
एक ही टैग नंबर की गाय दो-दो लोगों के पास. फिलहाल सिर्फ रांची में ही ऐसे करीब दर्जन भर से अधिक मामले सामने आये हैं. अन्य जिलों में अगर जांच की जाये, तो बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है
नेशनलाइज बैंक के बदले अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए एचडीएफसी बैंक को दे दी गयी 1760 लाभुकों की अनुदान की राशि
अनुदान की राशि उस बैंक में भेजी, जहां लाभुकों के खाते नहीं थे. इस कारण 237 लाभुकों ने दूसरे बैंकों में खाता ही नहीं खोला
गाय किसी के पास और उसका इंश्योरेंस किसी दूसरे के पास
योजना के तहत सिर्फ महिलाओं को गाय देनी थी. पर पुरुषों को भी दे दी गयी
सरकारी दस्तावेज के अनुसार, बिरसी देवी और बासमती देवी को एक ही टैग नंबर की गाय मिली है. दोनों के नाम पर खरीदी गयी गाय का टैग नंबर-291281 है. बिरसी देवी के पति का नाम चामू उरांव है. वह इटकी प्रखंड के भंडरा कुल्ली गांव की रहनेवाली है. बासमती देवी के पति का नाम बालेश्वर नायक है. वह चान्हो प्रखंड के अरा गांव की रहनेवाली हैं. टैग नंबर 291281 की गाय बिरसी देवी के पास है. लेकिन इस टैग नंबरवाली गाय का इंश्योरेंस सर्टिफिकेट बासमती देवी के नाम जारी किया गया है.
सरकारी दस्तावेज के अनुसार, मुंडनी देवी और बासमती देवी के पास एक टैग नंबर की गाय है. गाय का टैग नंबर 305724 है. बासमती देवी और मुंडनी देवी दोनों एक ही गांव चान्हो प्रखंड के अरा गांव की रहनेवाली हैं. बासमती के पति का नाम बालेश्वर नायक और मुंडनी देवी के पति का नाम सुरेश नायक है. भौतिक सत्यापन के दौरान बासमती देवी ने टैग नंबर 305724 की गाय दिखायी और खरीदने का दावा किया. जबकि यह गाय मुंडनी देवी के नाम पर खरीदी गयी है.
90% अनुदान देती है सरकार
राज्य सरकार ने जनवरी 2016 में 50 हजार बीपीएल परिवारों को दो-दो गाय देने की योजना लागू की थी. इस योजना को छह साल यानी वर्ष 2020-21 तक पूरा करना है. योजना के तहत गाय की कीमत की 90 प्रतिशत राशि लाभुकों को बतौर अनुदान देनी है. शेष 10 प्रतिशत राशि मिल्क फेड के माध्यम से कर्ज के रूप में देना है. लाभुक गाय का दूध मिल्क फेड को बेचेंगे और कर्ज के रूप में मिली 10 प्रतिशत राशि चुकायेंगे.

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