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तसर की राजधानी है झारखंड

पिस्कानगड़ी : झारखंड रेशम की राजधानी है. व्यक्तिगत रूप से विभिन्न जिलों का भ्रमण कर मैंने यह महसूस किया है. उक्त बातें मंगलवार को केंद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूरु के अध्यक्ष के हनुमंथरायप्पा ने केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में तसर उत्पादक राज्यों की संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में कही. बैठक में तसर संबंधी […]

पिस्कानगड़ी : झारखंड रेशम की राजधानी है. व्यक्तिगत रूप से विभिन्न जिलों का भ्रमण कर मैंने यह महसूस किया है. उक्त बातें मंगलवार को केंद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूरु के अध्यक्ष के हनुमंथरायप्पा ने केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में तसर उत्पादक राज्यों की संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में कही. बैठक में तसर संबंधी विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की गयी.
तसर उत्पादक राज्यों में पौधरोपण, बीजापूर्ति की समस्या एवं कोसोत्तर पहलुओं पर भी विचार किया गया. तसर रेशम के विकास के लिए संचालित सरकारी परियोजनाओं की प्रगति का भी लेखा-जोखा किया गया.अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड तसर रेशम उत्पादन के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य कर रहा है. बैठक में केंद्रीय रेशम बोर्ड के सदस्य सचिव रंजीत रंजन ओखंडियार, (भावसे) ने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में स्तरीय कार्य कर रहे हैं.
कहा कि तसर उत्पादन में झारखंड के अग्रणी होने की वजह से यहां की तसर कीट पालन प्रविधि एवं धागाकरण मॉडल को अन्य राज्यों के द्वारा भी अपनाये जाने की जरूरत है.
संस्थान के निदेशक डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि संस्थान तसर रेशम के विकास के लिए 44 से अधिक प्रौद्योगिकियां विकसित की है. संस्थान द्वारा धागाकरण के लिए ”अटल“ धागाकरण मशीन से भी बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होना सुनिश्चित है. बैठक में झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल आदि तसर उत्पादक राज्यों के रेशम एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

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