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झारखंड की जेलों में कितने विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदी हैं, सरकार बताये
मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राज्य की जेलों में व्याप्त अराजकता व खाली पदों को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अनुबा रावत चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार […]
मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राज्य की जेलों में व्याप्त अराजकता व खाली पदों को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अनुबा रावत चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल कर जेलों में बंद आरोपियों व कैदियों की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने पूछा कि राज्य में कितने जेल हैं. उसमें कितने विचाराधीन व कितने सजायाफ्ता कैदी हैं. जेलों में स्वीकृत पद के विरुद्ध कर्मियों के कितने पद भरे हैं तथा कितने पद खाली हैं.
इसके अलावा न्यायिक अभिरक्षा में कितने आरोपियों या कैदियों की अब तक आकस्मिक माैत हुई है. आकस्मिक मौत के मामले में यदि कोई समिति बनी है, तो उस समिति में कौन-कौन सदस्य शामिल हैं. समिति ने अब तक क्या कार्य किये हैं, उसकी भी जानकारी देने को कहा गया.
खंडपीठ ने मधुपुर जेल का निर्माण पिछले 10 साल में भी पूरा नहीं होने पर नाराजगी जतायी. शपथ पत्र के माध्यम से सरकार के गृह सचिव व कारा महानिरीक्षक को विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि शपथ पत्र दाखिल नहीं किया जाता है, तो अगली सुनवाई के दाैरान गृह सचिव व कारा महानिरीक्षक कोर्ट में सशरीर उपस्थित रहेंगे. मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई 2017 को आदेश पारित कर सभी राज्यों से जेल में सुधार के संबंध में जानकारी मांगी थी. उक्त आदेश के आलोक में झारखंड हाइकोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में परिणत किया था. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला सामने आया था कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जाता है. बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है. न्यायिक अभिरक्षा में हिंसा, आत्महत्या व रेप जैसी घटनाएं भी होती हैं.
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-75 के घटिया निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) के अभियंता प्रमुख को एनएच-75 की स्थलीय जांच करने का निर्देश दिया.
जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि एनएच 75 का 94 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. संवेदक कार्य कर रहा है. वहीं प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता ने सरकार की दलील का विरोध करते हुए घटिया निर्माण की जानकारी दी. प्रार्थी की ओर से खंडपीठ के समक्ष एनएच-75 के फोटोग्राफ प्रस्तुत किये गये. खंडपीठ ने फोटोग्राफ्स देखने के बाद सड़क निर्माण की जांच करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र केसरी ने जनहित याचिका दायर की है.
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