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सात सिविल सर्जन सहित 31 चिकित्सा पदाधिकारियों को जारी हुआ शो कॉज
अभियान निदेशक ने डोरंडा अस्पताल को दिया नोटिस अस्पतालों में सभी सुविधाएं रहने के बावजूद खराब प्रदर्शन संजय रांची : नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के अभियान निदेशक कृपाशंकर झा ने सात सिविल सर्जनों सहित कुल 31 उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को कारण बताअो नोटिस जारी किया है. इन सबको अपने-अपने अस्पतालों में फर्स्ट रेफरल […]
अभियान निदेशक ने डोरंडा अस्पताल को दिया नोटिस
अस्पतालों में सभी सुविधाएं रहने के बावजूद खराब प्रदर्शन
संजय
रांची : नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के अभियान निदेशक कृपाशंकर झा ने सात सिविल सर्जनों सहित कुल 31 उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को कारण बताअो नोटिस जारी किया है. इन सबको अपने-अपने अस्पतालों में फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफअारयू) की सभी सुविधाएं रहने के बावजूद खराब प्रदर्शन के लिए सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है. हालांकि तीन जनवरी को दिये गये नोटिस का जवाब अभी कहीं से नहीं आया है.
अभियान निदेशक ने उक्त पदाधिकारियों को लिखा है कि चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार एफअारयू का प्रगति प्रतिवेदन बेहद असंतोषजनक है. रिपोर्ट से साफ है कि आपके अस्पताल भारत सरकार द्वारा तय नॉर्म्स को पूरा नहीं करते. आपके संस्थान में मानव संसाधन सहित सभी जरूरी उपकरण होने के बावजूद प्रगति काफी धीमी है. अभियान निदेशक ने इस स्थिति को खेदजनक बताते हुए लिखा है कि यह आपके कार्यों की उदासीनता को दिखाता है.
इसलिए अाप सभी सात दिनों के अंदर अपना स्पष्टीकरण मुख्यालय को ई-मेल srcho.jharkhand@gmail.com पर उपलब्ध करायें, अन्यथा बरती गयी लापरवाही के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. एनएचएम सूत्रों के अनुसार, इस मामले में संबंधित अधिकारियों का वेतन रोका जा सकता है.
इनको देना है जवाब
सात सदर अस्पताल (डीएच) : चतरा, दुमका, जामताड़ा, लातेहार, पाकुड़, सिमडेगा तथा पश्चिम सिंहभूम.
11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) : सारवां, पतरातू, गोला, विष्णुगढ़, बसिया, कुड़ू, गोविंदपुर, राजनगर, अोरमांझी, बेड़ो व बुढ़मू.
पांच अनुमंडलीय अस्पताल (एसडीएच) : चास, चक्रधरपुर, बुंडू, घाटशिला तथा हुसैनाबाद.
सात रेफरल अस्पताल (अारएच) : जैनामोड़, सिल्ली, सोनाहातू, मांडर, बहरागोड़ा, डुमरी तथा तोरपा.
एक मैटरनल हेल्थ एंड चाइल्ड सेंटर (एमएचसी) : डोरंडा रांची
क्यों दिया गया नोटिस
उपरोक्त अस्पतालों में मरीजों को फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) की सुविधा नहीं मिल रही है. यानी यहां गर्भवती महिलाअों की डिलिवरी अॉपरेशन (सी-सेक्शन) के जरिये नहीं की जा रही है.
ऐसे मामलों के क्रिटिकल केस टाले जा रहे हैं. वहीं, ब्लड ट्रांसफ्यूजन तथा बीमार बच्चों की देखरेख का काम कम या नहीं हो रहा है. नॉर्म्स के अनुसार जिला (सदर) अस्पतालों में प्रति माह कम से कम 10 तथा सीएचसी में कम से कम पांच अॉपरेशन प्रति माह होना चाहिए. एफआरयू फैसिलिटी को सरकार स्वस्थ जच्चा-बच्चा के लिए तथा मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए जरूरी मानती है.
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