चारा घोटाला (आरसी 64 ए/96). देवघर कोषागार से हुई अवैध निकासी के मामले में सीबीआइ कोर्ट का फैसला
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लालू को साढ़े तीन साल का सश्रम कारावास, जेल में मिला माली का काम, राेज 93 रुपये कमायेंगे
चारा घोटाला (आरसी 64 ए/96). देवघर कोषागार से हुई अवैध निकासी के मामले में सीबीआइ कोर्ट का फैसला रांची : चारा घोटाले के आरसी 64 ए /96 मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने शनिवार को साढ़े तीन साल के सश्रम […]
रांची : चारा घोटाले के आरसी 64 ए /96 मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने शनिवार को साढ़े तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. इसके अलावा उन पर 10 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया है. दंड नहीं देने पर लालू प्रसाद को छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
अदालत ने लालू प्रसाद को भादवि की धारा 120बी (साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467, 471 व 477ए (जालसाजी कर जाली कागजात बनाना और इस्तेमाल करना) और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दोषी पाया है. लालू प्रसाद मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद से 23 दिसंबर से ही बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं.
शनिवार को सजा सुनाये जाने के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उनकी पेशी हुई. सजा सुनाये जाने के बाद लालू प्रसाद को जेल में काम भी आवंटित कर दिया गया. उन्हें माली का काम दिया गया है. प्रतिदिन उन्हें 93 रुपये मिलेंगे.
सभी दोषी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में हैं बंद : विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने मामले में जदयू के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा को सात साल की सजा सुनायी है. जगदीश शर्मा पर 20 लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है. दंड का भुगतान नहीं करने पर उन्हें एक वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. अदालत ने जगदीश शर्मा को भादवि की धारा 120बी, 420, 467, 471, 477ए और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दोषी पाया है.
इसके अलावा पूर्व विधायक आरके राणा, पूर्व विकास आयुक्त फूलचंद सिंह, पूर्व पशुपालन सचिव बेक जूलियस, महेश प्रसाद, पूर्व पशुपालन पदाधिकारी डॉ कृष्ण कुमार प्रसाद, पूर्व ट्रेजरी अफसर सुबीर भट्टाचार्य को साढ़े तीन-साढ़े तीन साल के कारावास की सजा सुनायी गयी है. इन सभी पर 10-10 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है.
आठ आपूर्तिकर्ताओं को साढ़े तीन साल से सात साल तक के कारावास की सजा सुनायी गयी. इन पर पांच लाख से 10 लाख रुपये तक का अर्थ दंड भी लगाया गया. अर्थ दंड नहीं देने पर इन्हें छह माह से एक साल तक की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. सभी दोषी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं.
लालू को साढ़े तीन…
छह दोषियों की सजा पर सुनवाई पूरी की : सजा सुनाने से पूर्व न्यायाधीश ने छह दोषी आपूर्तिकर्ताओं सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील गांधी, संजय कुमार अग्रवाल और त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के अलावा पूर्व ट्रेजरी ऑफिसर सुबीर भट्टाचार्य की सजा पर सुनवाई पूरी की. लालू प्रसाद सहित अन्य 10 दोषियों की सजा के बिंदु पर गुरुवार और शुक्रवार को ही सुनवाई पूरी हो चुकी थी.
जगन्नाथ मिश्रा सहित छह हो चुके हैं बरी
इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत, अधीर चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्रा और साधना सिंह को बरी कर चुका है.
10 लाख का जुर्माना भी
जुर्माना नहीं भरने पर छह
माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी
अब जायेंगे हाइकोर्ट
तीन साल से अधिक की सजा मिलने के बाद लालू प्रसाद सहित अन्य आरोपियों को लोअर कोर्ट से बेल नहीं मिल सकती है. तेजस्वी यादव व राजद विधायक भोला यादव ने कहा कि आदेश के खिलाफ हमारी पार्टी हाइकोर्ट जायेगी. हमें उम्मीद है कि हाइकोर्ट से लालू प्रसाद निर्दोष होकर बाहर निकलेंगे. आदेश की प्रति मिलते ही एक-दो दिन में हाइकोर्ट में अपील दायर की जायेगी.
आरोप क्या
लालू ने बिहार के सीएम और वित्त मंत्री रहते पद का दुरुपयोग कर मामले की इन्क्वायरी के लिए आयी फाइल को पांच जुलाई 1994 से एक फरवरी 1996 तक लटकाये रखा.
चुनाव से हो चुके हैं दूर
लालू को चारा घोटाले के एक केस में पांच साल की सजा पहले ही हुई है. इसी सजा की वजह से उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म हो गयी थी. सजा पूरी होने के छह साल बाद तक उन पर चुनाव लड़ने की रोक लगी हुई है. अब फिर उन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनायी गयी है.
7वीं बार जेल गये हैं लालू
जेल गये जेल में रहे
30 जुलाई 1997 135 दिन
28 अक्तूबर 1998 73 दिन
05 अप्रैल 2000 11 दिन
28 नवंबर 2000 01 दिन
26 नवंबर 2001 23 दिन
03 अक्तूबर 2013 70 दिन
(पांच साल की सजा)
23 दिसंबर 2017 अब तक (साढ़े तीन
साल की सजा)
भाजपा के आगे झुकने से बेहतर है मौत को गले लगाना.
लालू प्रसाद
(लालू का ट्विटर एकाउंट उनके पारिवािरक
सदस्य हैंडल कर रहे हैं)
सजा के एलान के बाद
राजद की बैठक : तेजस्वी चुने गये पार्टी के नेता
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर शनिवार को बैठक हुई. इसमें सभी शीर्ष नेताओं ने लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी को पार्टी का नेता चुना है. राजद नेताओं ने कहा कि अब तेजस्वी के नेतृत्व में ही आगे का संघर्ष होगा.
लालू प्रसाद को झूठे केस में फंसाया गया है. इसमें नीतीश कुमार की सबसे बड़ी भूमिका है. नीतीश, भाजपा व आरएसएस को लालू से काफी डर है. इसलिए भाजपा परेशान कर रही है. इन सब बातों की जानकारी जनता को देने के लिए मकर संक्रांति के बाद पूरे राज्य का दौरा करेंगे. हमारे पास हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जाने का ऑप्शन है. जब भी पार्टी पर आफत आयी है, पार्टी मजबूत हुई है. –
तेजस्वी यादव, राजद
फैसला दिखाता है कि कानून सबके लिए बराबर है. इस फैसले से बिहार के लोगों के साथ न्याय हुआ है.
– शाहनवाज हुसैन, भाजपा
मुझे पूरी उम्मीद है कि लालू को इस मामले में न्याय मिलेगा. इसके साथ ही उन्हें ऊपरी अदालत से जमानत मिल जायेगी.
– शरद यादव
पार्टी ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायी है. गठबंधन आरजेडी के साथ है. किसी व्यक्ति के साथ नहीं.
-आरपीएन सिंह, कांग्रेस
सबको है तजुर्बा, गो पालन करें, ओपेन जेल में पत्नी संग रहें, कर दें अनुशंसा ?
लाइव l सजा सुनने के बाद शांत हो गये लालू, सुबीर भट्टाचार्य से जज ने कहा
स जा सुनाये जाने के लिए सभी दोषियों की बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी हुई. सभी दोषी कैमरे के सामने खड़े थे. सबसे पहले लालू प्रसाद का नाम पुकारा गया. उन्होंने हाथ उठा अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. इसी तरह पूर्व सांसद जगदीश शर्मा और अन्य दोषियों ने कोर्ट में हाजिर होने का प्रमाण दिया.
इसके बाद सीबीआइ कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने सजा सुनानी शुरू की. साढ़े तीन साल की सजा मिलने के बाद लालू प्रसाद एकदम शांत नजर आये. जैसे ही पूर्व जदयू सांसद जगदीश शर्मा को सात साल की सजा हुई, वह रुआंसे हो गये. कोर्ट में मौजूद उनके बेटे की आंखें भी भर आयी. सजा की कार्रवाई पूरी होने के बाद पूर्व ट्रेजरी ऑफिसर सुबीर भट्टाचार्य ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि उनकी सजा कम कर तीन साल कर दी जाये, क्योंकि उनकी पत्नी बीमार रहती है.
इस पर न्यायाधीश ने हंसते हुए कहा कि हाइकोर्ट में अपील कीजिए. वहां हो सकता है, सजा एक ही साल हो जाये. न्यायाधीश ने कहा, सब लोगों को तजुर्बा है. गो-पालन करें. पत्नी संग ओपेन जेल में रहें, कर दें अनुशंसा? इसी क्रम में भट्टाचार्य बोले कि नहीं हुजूर, हमको जेल में ही रहे दीजिए. इसके बाद न्यायाधीश आसन से उठ गये.
जगदीश शर्मा को सात साल जेल और 20 लाख का अर्थ दंड
आरके राणा, फूलचंद सिंह, बेक जूलियस, महेश प्रसाद, डॉ कृष्ण कुमार प्रसाद व सुबीर भट्टाचार्य को साढ़े तीन-साढ़े तीन साल की सजा, 10-10 लाख का जुर्माना
आठ सप्लायरों को साढ़े तीन से सात साल तक की जेल और पांच से 10 लाख
रुपये तक का अर्थ दंड, 23 दिसंबर को दोषी करार दिये गये थे सभी
89 लाख की हुई थी अवैध िनकासी देवघर कोषागार से
पशुओं के लिए दवा और अस्पताल के लिए उपकरण खरीदने के लिए 4.7 लाख देवघर जिला पशुपालन विभाग को आवंटित हुए थे. लेकिन घोटालेबाजों ने जाली कागजाताें के सहारे 89 लाख से अधिक की सरकारी राशि की निकासी कर ली थी. सीबीअाइ की जांच में इस बात का खुलासा हुआ था.
सीबीआइ में प्राथमिकी : 15 मई 1996
आरोप पत्र दायर : 28 मई 2004
आरोप गठन : 26 सितंबर 2005
सीबीआइ अधिकारी : एके झा
सीबीआइ स्पेशल पीपी : राकेश प्रसाद
सीबीआइ के गवाह : 160
बचाव पक्ष के गवाह : 16
11 की सुनवाई के दौरान मौत : शेषमुनी राम, श्याम बिहारी सिन्हा, चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, रामराज राम, ओपी गुप्ता, विनय कुमार, के अरुमुगम, महेंद्र प्रसाद, राजो सिंह, ब्रजभूषण प्रसाद और भोला राम तूफानी
03 सरकारी गवाह बन गये : आरके दास, शिव कु पटवारी, शैलेश प्र
02 ने अपराध स्वीकारा : सुशील झा, प्रमोद जायसवाल
22 लोगों ने ट्रायल फेस किया
किनको, कितनी मिली सजा
नाम सश्रम कारावास आर्थिक दंड
लालू प्रसाद (पूर्व मुख्यमंत्री) साढ़े तीन साल 10 लाख
जगदीश शर्मा (पूर्व सांसद) सात साल 20 लाख
आरके राणा (पूर्व विधायक) साढ़े तीन साल 10 लाख
फूलचंद सिंह (पूर्व विकास आयुक्त) साढ़े तीन साल 10 लाख
बेक जूलियस (पूर्व पशुपालन सचिव) साढ़े तीन साल 10 लाख
महेश प्रसाद (पूर्व पशुपालन सचिव) साढ़े तीन साल 10 लाख
डॉ कृष्ण कु प्रसाद (पूर्व पशुपालन पदा) साढ़े तीन साल 10 लाख
सुबीर भट्टाचार्य (पूर्व ट्रेजरी अफसर) साढ़े तीन साल 10 लाख
त्रिपुरारि मोहन प्रसाद (पूर्व आपूर्तिकर्ता) सात साल 10 लाख
राजा राम जोशी (पूर्व आपूर्तिकर्ता) साढ़े तीन साल 05 लाख
सुनील कुमार सिन्हा (पूर्व आपूर्तिकर्ता) साढ़े तीन साल 05 लाख
सुशील कुमार सिन्हा (पूर्व आपूर्तिकर्ता) साढ़े तीन साल 05 लाख
सुनील गांधी (पूर्व आपूर्तिकर्ता) सात साल 10 लाख
संजय कुमार अग्रवाल (पूर्व आपूर्तिकर्ता) सात साल 10 लाख
ज्योति कुमार झा (पूर्व आपूर्तिकर्ता) सात साल 10 लाख
गोपीनाथ दास (पूर्व आपूर्तिकर्ता) सात साल 10 लाख
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