रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग का कैथ लैब एक टेक्निशियन अवधेश कुमार के भरोसे संचालित हो रहा है. मजे की बात यह है कि वह भी सेवानिवृत्त हैं. वह रिम्स परिसर में नहीं रहते हैं, इसलिए इमरजेंसी में उन्हें हटिया स्थित उनके आवास से बुलाना पड़ता है. टेक्निशियन की कमी के कारण हृदय रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. समय पर एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती है. इससे मरीज की जान पर बन आती है.
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रिम्स के कैथ लैब में है एक ही टेक्निशियन, वह भी सेवानिवृत्त
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग का कैथ लैब एक टेक्निशियन अवधेश कुमार के भरोसे संचालित हो रहा है. मजे की बात यह है कि वह भी सेवानिवृत्त हैं. वह रिम्स परिसर में नहीं रहते हैं, इसलिए इमरजेंसी में उन्हें हटिया स्थित उनके आवास से बुलाना पड़ता है. टेक्निशियन की […]
बीते शुक्रवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब टेक्निशियन के अभाव में मरीज सत्येंद्र कुमार की एंजियोग्राफी नहीं हो पायी. इससे पता नहीं चल पाया कि उनकी धमनियाें में ब्लाॅकेज है. अगले दिन शनिवार को एंजियोप्लास्टी की गयी. यह तो शुक्र था कि मरीज की जान बच गयी.
ये हाल है
हटिया में है टेक्निशियन का घर, इमरजेंसी होने पर उन्हें कॉल करके बुलाना पड़ता है
समय पर नहीं हो पाती एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी, सांसत में रहती है मरीज की जान
कम से कम चार टेक्निशियन चाहिए कैथ लैब को
जानकारी के अनुसार कार्डियोलॉजी विंग को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए कम से कम चार टेक्निशियन होने चाहिए, लेकिन एक टेक्निशियन ही काम चलाते हैं. ज्यादा गंभीर मरीज के आने पर पारा मेडिकल स्टाफ का सहयोग लिया जाता है. जबकि कैथ लैब को 24 घंटे संचालित होना चाहिए, जिसमें एक टेक्निशियन की ड्यूटी हमेशा रहनी चाहिए. इसके अलावा पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है, जिससे गंभीर मरीजों के देखभाल में परेशानी होती है.
जरूरत 15 नर्स की, तैनात है एक नर्स
रिम्स के कार्डियोलॉजी विंग में 19 बेड का आइसीयू और 11 बेड का रिकवरी विंग है. यानी हृदय विभाग के क्रिटिकल केयर में हमेशा 30 मरीज भरती रहते हैं. लेकिन, इन 30 मरीजों की सेवा के लिए एक या दो नर्सों की ही ड्यूटी लगायी जाती है. शनिवार को भी आइसीयू में एक ही नर्स सेवा दे रही थी. जबकि नर्स के सहयोग के लिए तीन से चार नर्सिंग स्टूडेंट रहती हैं.
आंतरिक राजनीति का शिकार है कार्डियोलॉजी विंग
रिम्स का कार्डियोलॉजी विंग आंतरिक राजनीति का शिकार है. विभाग के डॉक्टरों में आपस में काेई तालमेल नहीं है. इलाज से लेकर व्यवस्था सुधारने में डॉक्टरों में विरोधाभास रहता है. डॉक्टरों की आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. शुक्रवार को ऐसा ही हुआ जब एक मरीज के एंजियोप्लास्टी को लेकर दो डॉक्टर आपस में भीड़ गये.
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