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समन्वयकों को अब विभाग से होगा भुगतान
रांची : विभिन्न आदर्श ग्राम (सांसद आदर्श ग्राम, विधायक आदर्श ग्राम व प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम) तथा मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना के तहत जिलों व प्रखंडों में समन्वय का काम कर रहे लोगों को अब विभाग की अोर से ही यात्रा खर्च सहित अन्य भुगतान किया जायेगा. योजना को गति देने के लिए ग्रामीण विकास विभाग […]
रांची : विभिन्न आदर्श ग्राम (सांसद आदर्श ग्राम, विधायक आदर्श ग्राम व प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम) तथा मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना के तहत जिलों व प्रखंडों में समन्वय का काम कर रहे लोगों को अब विभाग की अोर से ही यात्रा खर्च सहित अन्य भुगतान किया जायेगा. योजना को गति देने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने यह निर्णय लिया है कि समन्वयकों से उनके बिल व अन्य वाउचर मंगा कर उन्हें सीधे विभाग की अोर से ही भुगतान किया जाये. वहीं संबंधित खर्च के लिए जो 1.74 करोड़ रुपये विभिन्न उप विकास आयुक्तों (डीडीसी) को दिये गये थे, उसका इस्तेमाल आदर्श ग्राम योजना के लिए बनने वाले डीपीआर में कर लिया जायेगा.
दरअसल विभिन्न समन्वयकों को किसी जिले के डीडीसी की ओर से पैसा जारी नहीं हो रहा था. इसी के बाद यह नयी व्यवस्था करनी पड़ी है. इससे पहले विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव एनएन सिन्हा ने भी सभी डीडीसी को इस फंड का इस्तेमाल करने का निर्देश दो-तीन बार दिया था, पर यह काम आज तक शुरू नहीं हुआ.
गौरतलब है कि एक तरफ सरकार आदर्श गांवों को लेकर अपनी गंभीरता दिखा रही है, दूसरी ओर आदर्श गांवों के लिए चयनित जिला व प्रखंड समन्वयकों को गत एक वर्ष से आवागमन खर्च नहीं मिल रहा है. वहीं इन्हें जिला के डीआरडीए कार्यालय में बैठने की जगह भी नहीं मिली है. इस समस्या से परेशान होकर अक्तूबर 2016 में नियुक्त हुए कुल 57 लोगों में से 25 ने काम छोड़ दिया है.
समन्वयकों का काम
प्रखंड व जिला समन्वयकों का काम ग्रामीणों को आदर्श ग्राम के लक्ष्य वउद्देश्यों के प्रति जागरूक करना, संबंधित ग्राम पंचायतों में आदर्श ग्राम विकास समिति का गठन तथा इनका क्षमता विकास करना, राशन कार्ड व विभिन्न सामाजिक पेंशन जैसी यूनिवर्सल योजनाओं को अर्हता रखने वाले सौ फीसदी लाभुकों तक पहुंचाने में मदद करना, संबंधित ग्राम पंचायतों की वर्तमान सामाजिक व आर्थिक स्थिति जानने के लिए बेस लाइन सर्वे करना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम व विधायक आदर्श ग्राम के लिए मिलने वाले प्रति ग्राम 40 लाख रुपये के क्रिटिकल गैप फंड के इस्तेमाल के लिए विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना, ग्राम सभाएं आयोजित कर संबंधित गांव के लिए योजनाओं का चयन करवाना तथा इन सबकी रिपोर्ट सरकार की साइट पर अपलोड करना है.
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