24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हर पत्थर अहिल्या है, केवल कलात्मक स्पर्श चाहिए

प्रणव प्रियदर्शी रांची : भारतीय परंपरा में हस्तशिल्प का प्रमुख स्थान है. इससे निर्मित वस्तुएं सिर्फ वस्तुएं नहीं होतीं, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है. हस्तशिल्प देश की सांस्कृतिक विविधता और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करता है. हर क्षेत्र की अपनी-अपनी विशिष्टता की झलक इससे निर्मित उत्पादों से मिलती है. यहां दैनिक जीवन की […]

प्रणव प्रियदर्शी
रांची : भारतीय परंपरा में हस्तशिल्प का प्रमुख स्थान है. इससे निर्मित वस्तुएं सिर्फ वस्तुएं नहीं होतीं, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है. हस्तशिल्प देश की सांस्कृतिक विविधता और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करता है. हर क्षेत्र की अपनी-अपनी विशिष्टता की झलक इससे निर्मित उत्पादों से मिलती है.
यहां दैनिक जीवन की सामान्य वस्तुएं भी कोमल कलात्मक रूप में ढल कर महान बन जाती हैं. इसलिए कहा जाता है कि हर पत्थर में अहिल्या होती है, उसे पुनर्जीवित करने की जरूरत होती है. विकास का आधुनिक मॉडल अपने अंतिम परिणाम में जैसे-जैसे असफल साबित हो रहा है, लोगों का ध्यान इस ओर अनायास ही खिंचा चला आ रहा है. सरकार की नजर भी इस क्षेत्र पर पड़ी है. प्रत्येक राज्य की हस्तकला की अपनी अलग-अलग पहचान है.
झारखंड का हस्तशिल्प भी देश और दुनिया में अपना विशिष्ट स्थान व पहचान रखता है. यहां के शिल्पकारों द्वारा निर्मित डोकरा शिल्प, मिट्टी शिल्प, बांस शिल्प, काष्ठ शिल्प आदि बड़े ही कुशलतापूर्वक बनाये जाते हैं.
झारखंड में लगभग 32 जनजातीय समूह हैं, जिनके अपने पारंपरिक हस्तशिल्प और कलाएं हैं. इसके अतिरिक्त यहां बसनेवाले अन्य समुदाय के लोग भी विभिन्न हस्तशिल्प कला की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. झारखंड सरकार की ओर से लगाये जानेवाले खादी व सरस मेला एवं सूरजकुंड मेले में भी इसकी बानगी देखी जा सकती है. सरकार की ओर से माटी कला बोर्ड का गठन और झारखंड राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की सक्रियता इस क्षेत्र में नयी संभावनाओं के द्वार खोल रहे हैं. झारखंड राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ग्रामीण कौशल विकास के तहत राज्य के सुदूर गांवों में जाकर लोगों को हस्तशिल्प में प्रशिक्षित कर रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है. हस्तशिल्प के लिए ये सब शुभ संकेत हैं. भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया योजना’ भारतीय कलाकारों के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आयी है. इसके तहत भारत में उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य भारतीय कलाकारों को कला प्रदर्शन के लिए एक बेहतर मौका देना भी है.
हस्तशिल्प क्षेत्र में विद्यमान खतरे : किसी भी उद्योग में यदि अवसर विद्यमान होते हैं, तो उसमें कुछ कमजोरियां और खतरे भी मौजूद होते हैं. हस्तशिल्प क्षेत्र में भी अनेक खतरे मौजूद हैं. अच्छे कच्चे माल की आपूर्ति कम होती जा रही है. अन्य देशों में बेहतर क्वालिटी के घटक, डिजाइनिंग और पैकेजिंग भी इस क्षेत्र में नयी चुनौती पेश कर रही हैं. क्वालिटी मानकीकरण प्रक्रिया की कमी है. इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. उपभोक्ता परिष्कृत शिल्प को महत्व देते हैं. सांस्थानिक समर्थन का अभाव भी है. भारतीय हस्तशिल्प की बढ़ती लागत बाजारों में इसकी स्पर्धा पर बुरा असर डालती है.
हस्तशिल्प के प्रति लोगों में जागरूकता आ रही है. कई लोग इस क्षेत्र में आगे आना चाह रहे हैं. कई संगठन भी इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की दिशा में प्रयासरत हैं. सामूहिक निर्माण प्रणाली को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. गुणवत्तापूर्ण उत्पाद, उसकी पैकेजिंग व डिजाइनिंग पर भी बल दिये जाने की जरूरत है. उत्पाद की बढ़ती लागत कम करने के लिए संस्थागत सोच को बढ़ावा देना होगा.
बबीता वर्मा, हस्तशिल्प की प्रशिक्षक
हस्तशिल्प उद्योग में अवसर
हस्तशिल्प उद्योग में असीम अवसर विद्यमान हैं. उत्पाद विकास एवं डिजाइन को उन्नत बनाने पर अब अधिक ध्यान दिया जा रहा है. घरेलू और पारंपरिक बाजार में भारतीय हस्तशल्पि की मांग बढ़ रही है.
विकसित देशों में भी उपभोक्ता यहां के हस्तशिल्प की सराहना करते हैं और यह रुझान बढ़ता जा रहा है. सरकार अब इस उद्योग को समर्थन दे रही है और हस्तशिल्प के संरक्षण में दिलचस्पी ले रही है. अन्य देशों में उभरते बाजारों ने इस क्षेत्र में अवसर बढ़ा दिये हैं. भारत में अब ज्यादा पर्यटक आने लगे हैं, जिससे उत्पादों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध हो रहा है.
हस्तशल्पि उद्योग की चुनौतियां
हस्तशल्पि उद्योग में कुछ खामियां भी हैं, जिन्हें तत्काल दूर करने की जरूरत है. यह उद्योग अत्यधिक बंटा हुआ है.
उत्पादन और उत्पाद निर्माण प्रणाली अत्यधिक व्यक्तिगत है और समुचित सरंचना का अभाव है. इस क्षेत्र की रक्षा के लिए सशक्त मुख्य संगठनों का अभाव है. पूंजीकरण बहुत सीमित है और निवेश भी कम किया जाता है. निर्यात के रुझान, अवसरों एवं कीमतों के बारे में बाजार की जानकारी पर्याप्त नहीं है. उत्पादन, वितरण और विपणन के लिए सीमित संसाधन उपलब्ध हैं. उत्पादक समूहों में ई-कॉमर्स दक्षता सीमित है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें