रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में गैर पारा कोटि में टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों की नियुक्ति करने को लेकर दायर याचिकाअों पर सुनवाई हुई.
एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा बार-बार समय मांगे जाने पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने चार लाख रुपये जुर्माना लगाया. राशि रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करने का निर्देश दिया. यह भी कहा गया कि यदि चार लाख रुपये जमा नहीं किये जाते हैं, तो अगली सुनवाई के दाैरान स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव सशरीर उपस्थित रहेंगे. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि जो अभ्यर्थी पारा शिक्षक के आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहते हैं, तो सरकार उन पर जबर्दस्ती आरक्षण थोप नहीं सकती है.
यदि पारा शिक्षक बिना आरक्षण के ओपन मेरिट में प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं, तो सरकार उन्हें मजबूर नहीं कर सकती है. सरकार की पॉलिसी पर खंडपीठ ने असंतोष जताया. यह प्रार्थियों को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने जैसा है. मौखिक रूप से पूछा कि क्या देश में कहीं ऐसी नियमावली बनी है, जो अभ्यर्थी आरक्षण नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें आरक्षण लेने की बाध्यता हो. यदि है, तो उस नियमावली को कोर्ट में प्रस्तुत किया जाये. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 जनवरी 2018 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की अोर से समय देने का आग्रह किया गया था. समय मांगे जाने पर खंडपीठ ने नाराजगी जतायी. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता रूपेश सिंह ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पवन सिंह चौधरी व अन्य की अोर से याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि गैर पारा कोटि में उन्होंने आवेदन दिया था. उनका नाम मेरिट लिस्ट में था, लेकिन काउंसलिंग में यह कहते हुए नहीं बुलाया गया कि आप पारा शिक्षक कोटि में आते हैं, गैर पारा कोटि में नियुक्ति नहीं हो सकती है.