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इतिहास जानते, तो कुड़मी पर कटाक्ष नहीं करते हेमंत : शैलेंद्र
रांची : झारखंड आंदोलनकारी और पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने हेमंत सोरेन के (रामचंद्र सहिस द्वारा कुड़मी को एसटी में शामिल किये जाने की मांग पर कटाक्ष करते हुए हेमंत ने आदिवासियों को ब्राह्मण बना देने की बात कही थी) बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है़ श्री महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन अभी राजनीतिक […]
रांची : झारखंड आंदोलनकारी और पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने हेमंत सोरेन के (रामचंद्र सहिस द्वारा कुड़मी को एसटी में शामिल किये जाने की मांग पर कटाक्ष करते हुए हेमंत ने आदिवासियों को ब्राह्मण बना देने की बात कही थी) बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है़ श्री महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन अभी राजनीतिक रूप से अपरिपक्व है़ं उनके पिता शिबू सोरेन ने कुड़मी समाज पर कभी भी ऐसा कटाक्ष नहीं किया़ हेमंत सोरेन को झारखंड आंदोलन का इतिहास पता होता, तो इस तरह का बयान विधानसभा में नहीं देते़
श्री महतो ने कहा कि हेमंत को जानना चाहिए कि 1989 में दुमका में झामुमो के महाधिवेशन में कुड़मी जाति को एसटी में शामिल किये जाने का प्रस्ताव पारित हुआ था़ उस वक्त मैं महासचिव और शिबू अध्यक्ष हुआ करते थे़ श्री महतो ने कहा कि कुड़मी जाति का संताल, मुंडा, हो, भूमिज में सामाजिक एकरूपता है़ सरकारी दस्तावेज में कुड़मी जाति के एबोरीजिनस ट्राइब होने का उल्लेख है़ इस आधार पर कई दशक से कुड़मी को एसटी में शामिल करने का आंदोलन चल रहा है़
2005 में राज्य सरकार ने केंद्र से इससे संबंधित अनुशंसा भी की थी. श्री महतो ने कहा कि पश्चिम बंगाल के 12 जिलों में रहने वाली कुड़मी जाति को एसटी में शामिल किये जाने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अनुशंसा की है़ झारखंड में भी इस पुरानी मांग को पूरा करने के लिए खुले दिल से पहल होनी चाहिए़
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