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रिम्स में नि:शुल्क हो रही है लेप्राेस्काेपी विधि से सर्जरी

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अब दूरबीन (लेप्रोस्कोपी) से पित्त की थैली और इंडोस्कोपी से इएमआर ऑपरेशन किया जा रहा है. इस विधि से ऑपरेशन होने से मरीज का रक्तस्राव कम होता है और 24 घंटे के बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है. रिम्स के सर्जरी विभाग […]

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अब दूरबीन (लेप्रोस्कोपी) से पित्त की थैली और इंडोस्कोपी से इएमआर ऑपरेशन किया जा रहा है. इस विधि से ऑपरेशन होने से मरीज का रक्तस्राव कम होता है और 24 घंटे के बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है. रिम्स के सर्जरी विभाग में यह सर्जरी प्रतिदिन हो रही है.
हालांकि, जानकारी के अभाव में गरीब और मध्यम वर्गीय तबके के मरीज अब भी निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, जबकि इसी ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों में 40 हजार से 60 हजार रुपये तक लिये जाते हैं. रिम्स के सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ आरजी बाखला ने बताया कि लेप्रोस्कोपी से लेप्रो कोलीसिक्सेकटोमी, अपर जीआइ इंडोस्काेपी, लोअर जीआइ इंडोस्कोपी से इएमआर सर्जरी की जा रही है. नयी तकनीक से सर्जरी करने से मरीजों को लाभ हो रहा है.
मरीज भी लप्रोस्कोपी से ही सर्जरी का डिमांड कर रहे हैं.
इंडोस्कोपी और इआरसीपी जांच भी : लेप्रोस्कोपी सर्जरी के साथ-साथ इंडोस्कोपी से पेट के अंदर की जांच भी हो रही है. इसके अलावा इआरसीपी जांच भी होती है. जांच के माध्यम से अल्सर कैंसर के अलावा पित्त की नली और स्टोन एवं ट्यूमर की जांच भी की जाती है. खास बात यह है कि इस जांच के लिए मरीजों का एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ रहा है. वहीं, निजी अस्पतालों में इसके लिए 5,000 से 8,000 रुपये तक लगते हैं.
लेप्रोस्कोपी की तीन और मशीनें जल्द
सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपी से सर्जरी की सुविधा के लिए तीन नयी मशीन मंगायी जा रही हैं. वर्तमान में एक ही मशीन है, जिससे सर्जरी के प्रत्येक यूनिट को मात्र एक दिन ही सर्जरी के लिए मिल पाता है. वहीं, तीन नयी मशीनें आने से हर यूनिट सप्ताह में दो से तीन दिन लेप्रोस्कोपी से सर्जरी कर पायेंगे.
लेप्रोस्कोपी से गॉल ब्लाडर की सर्जरी हो रही है. इस विधि में मरीज को पांच से 20 एमएम का चीरा लगाया जाता है. इससे रक्तस्राव बहुत कम होता है. सर्जरी के लिए वेटिंग कम होता है. ऑपरेशन के साथ-साथ अत्याधुनिक तरीके से पेट की अंदरूनी जांच भी हो जाती है.
डॉ शीतल मलुआ, सर्जन रिम्स

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