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पोषाहार से लेकर मेडिसीन व साड़ी सबकी खरीद लंबित

दुर्भाग्य : समाज कल्याण निदेशालय, पोषाहार आपूर्ति का एक्सटेंशन दिसंबर तक ही संजय रांची : महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा (समाज कल्याण) विभाग से संबद्ध समाज कल्याण निदेशालय में कामकाज लगभग ठप है. बार-बार नये निदेशकों का बदलना तथा निदेशालय के अधिकारियों की बीच आपसी खटपट तथा विभागीय अधिकारियों की भी सुस्ती जैसे मिले-जुले […]

दुर्भाग्य : समाज कल्याण निदेशालय, पोषाहार आपूर्ति का एक्सटेंशन दिसंबर तक ही
संजय
रांची : महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा (समाज कल्याण) विभाग से संबद्ध समाज कल्याण निदेशालय में कामकाज लगभग ठप है. बार-बार नये निदेशकों का बदलना तथा निदेशालय के अधिकारियों की बीच आपसी खटपट तथा विभागीय अधिकारियों की भी सुस्ती जैसे मिले-जुले कारणों से निदेशालय में करीब 750 करोड़ रुपये की कई जरूरी खरीद लंबित है.
इनमें आंगनबाड़ी के लिए पोषाहार, अंडा, प्री-स्कूल किट, मेडिसिन किट तथा आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका के लिए पोशाक (साड़ी) की खरीद शामिल है. बच्चों (छह माह से तीन वर्ष) सहित गर्भवती व धात्री महिलाअों के लिए पोषाहार आपूर्ति के लिए पहले की कंपनियों को जून से दिसंबर के बीच दो बार अवधि विस्तार (एक्सटेंशन) दिया गया. वहीं, अब तक नयी पार्टी के लिए टेंडर अभी प्रक्रिया में ही है. उसी तरह आंगनबाड़ी केंद्र में तीन से छह वर्षीय करीब 12 लाख बच्चों को सप्ताह में तीन दिन अंडा दिया जाना है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर शुरू हो रही इस योजना के लिए भी खरीद शुरू नहीं हुई. प्रक्रिया अभी प्री-बिड स्तर पर है. प्री-बिड मीटिंग में टेंडर में कुछ संशोधन के प्रस्ताव अाये हैं. उसी तरह आंगनबाड़ी केंद्रों के तीन से छह वर्षीय बच्चों को खेलकूद के माध्यम से शुरुआती अौपचारिक शिक्षा भी दी जानी है. पर इस वर्ष प्री-स्कूल किट भी अब तक नहीं खरीदा गया है.
यही हाल मेडिसिन किट का भी है. बच्चों में साधारण बीमारियों की रोकथाम तथा प्राथमिक उपचार के लिए यह किट रखा जाता है. उधर, अनगड़ा प्रखंड के हेसल मझला टोली सहित कई केंद्रों पर साल भर से मेडिसिन किट नहीं है. आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका (कुल 74313) को दो जोड़ी साड़ी भी बतौर पोशाक दी जानी है. इसकी खरीद भी अब तक नहीं हो सकी है.
चालू वित्तीय वर्ष में ही अब तक चार निदेशक
नौ माह में चार निदेशक : चालू वित्तीय वर्ष के नौ माह में समाज कल्याण निदेशालय ने चार निदेशक देख लिये. पहले छवि रंजन, फिर चार दिनों के लिए अबू इमरान, फिर करीब पांच माह के लिए राजीव रंजन अौर अब धनबाद से आये मनोज कुमार. निदेशकों को जब तक निदेशालय के कार्यों की पूरी समझ होती है, तब तक वह चलता हो रहे हैं.
निवर्तमान निदेशक राजीव रंजन तथा निवर्तमान विभागीय सचिव एमएस भाटिया तथा निदेशालय के अन्य पदाधिकारियों के बीच एक-दूसरे के प्रति नाराजगी चरम पर पहुंचने से भी बहुत नुकसान हुआ. अब विनय चौबे विभाग के नये सचिव हैं. इन्होंने पहले भी विभाग का कामकाज देखा है. विभागीय व निदेशालय के अधिकारियों को उम्मीद है कि अब स्थिति बदलेगी.
किसका कितना बजट
पोषाहार : 720 करोड़
प्री स्कूल किट: 11.15 करोड़
साड़ी: 5.30 करोड़
मेडिसिन किट : 3.72 करोड़

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