रांची : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत गर्भवती महिलाओं तथा प्रसव के बाद माताओं व उनके बच्चों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं का रिकॉर्ड रखा जाता है. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि गर्भवती, प्रसूति माता तथा बच्चे की उचित देखभाल हो रही है.
एक वर्ष पहले तक गर्भवती व मां-बच्चे का यह रिकॉर्ड (जिसे मदर-चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम अथवा एमसीटीएस कहा जाता है) बहुत दुरुस्त नहीं था. राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में निबंधित या इससे संबद्ध कुल गर्भवती महिलाओं, माताओं तथा उनके बच्चे का अधिकतम 35 फीसदी ही रिकॉर्ड विभिन्न जिलों से मिली सूचना के आधार पर ट्रैक पर था. अब इसमें बड़ा सुधार अाया है.
गत वर्ष 81 फीसदी गर्भवती महिलाअों, माताअों व उनके बच्चे ट्रैक पर लाये गये थे. वहीं चालू वित्तीय वर्ष के छह माह में ही 62 फीसदी गर्भवती महिलाअों तथा तथा 65 फीसदी माताअों व उनके बच्चों का ट्रैक रिकॉर्ड तैयार हो गया है. वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 85 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है. एनएचएम के अभियान निदेशक (एमडी) कृपा शंकर झा तथा एमसीटीएस प्रभारी सुब्रतो रॉय के प्रयास से यह सफलता मिली है.
सभी जिलों से लगातार संपर्क कर आंकड़ों को दुरुस्त किया गया है. दरअसल ट्रैक पर उन गर्भवती माताअों को लाया जाता है, जिनकी प्रसव पूर्व तीन जांच (एएनसी) पूरी हो चुकी है. उसी तरह डिलिवरी के बाद माताअों की देखभाल तथा बच्चों को समय-समय पर लगने वाले विभिन्न टीके की जानकारी ट्रैक पर रखी जाती है. एमसीटीएस में गर्भवती या प्रसूती महिला का नाम, उनका मोबाइल नंबर तथा जिस अस्पताल में उनकी देखभाल हो रही है, उसके नाम सहित देखभाल करने वाली सहिया या एएनएम का नाम व संपर्क नंबर भी दर्ज होता है.