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झारखंड : नहीं हुआ मनरेगा राशि का भुगतान, कर ली खुदकुशी

मांडर : मांडर प्रखंड के मुड़मा के रहनेवाले पूर्व वार्ड सदस्य कार्लूस कुजूर (55) ने शुक्रवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों का कहना है कि मनरेगा के तहत सिंचाई कूप के निर्माण के बाद प्रखंड से पैसे नहीं मिलने को लेकर कार्लूस कई माह से तनाव में थे. इस कारण ही उन्होंने दिन […]

मांडर : मांडर प्रखंड के मुड़मा के रहनेवाले पूर्व वार्ड सदस्य कार्लूस कुजूर (55) ने शुक्रवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों का कहना है कि मनरेगा के तहत सिंचाई कूप के निर्माण के बाद प्रखंड से पैसे नहीं मिलने को लेकर कार्लूस कई माह से तनाव में थे.
इस कारण ही उन्होंने दिन के करीब 12 बजे अपने घर के एक कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पत्नी सरोजनी कुजूर ने बताया, 2014-15 में देवर क्लेभर कुजूर के नाम से मनरेगा के तहत सिंचाई कूप बनाने का काम मिला था. प्रखंड से शुरुआत में पैसे मिले.
लेकिन जमीन लेबल तक निर्माण होने के बाद पैसे का भुगतान रुक गया. मजदूर प्रतिदिन घर आकर मजदूरी मांगते थे. मजदूरों को भुगतान के लिए दुधारू गाय बेचनी पड़ी. कर्ज भी लेना पड़ा.
सरोजनी ने बताया, भुगतान के लिए अप्रैल में प्रखंड कार्यालय में आवेदन भी दिया था. दर्जनों बार प्रखंड कार्यालय व पंचायत सेवक के पास चक्कर लगाये. इसके बाद पैसा नहीं मिला. छह मई को एक ट्रक उनके घर में घुस गया था. इससे घर क्षतिग्रस्त हो गया था. आर्थिक तंगी के कारण मरम्मत नहीं हो सकी थी. इसके बाद से वह बहन की घर में शरण लिये हुए थे. पैसे नहीं मिलने के कारण वह काफी परेशान थे.
कमरे में लगायी फांसी
कार्लूस कुजूर के दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी श्वेता अर्चना की शादी हो चुकी है. बेटा आशीष कुजूर (20) रांची में पढ़ता है. पत्नी सरोजनी ने बताया, सुबह उसने पति के साथ नाश्ता किया था. इसके बाद वह गाय के लिए घास लाने खेत चली गयी. दोपहर करीब 12.30 बजे लौटी, तो घर का एक कमरा बंद पाया.
शंका होने पर उसने भतीजे को बुलाया. किसी तरह दरवाजा खोला गया, तो कार्लूस का शव साड़ी के टुकड़े के सहारे छह के पाइप से लटका हुआ मिला. इसकी सूचना मांडर पुलिस को दी गयी. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया. मुड़मा पंचायत के उपमुखिया बंधन उरांव ने मृतक के भाई को सिंचाई कूप मिलने व भुगतान नहीं होने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि लाभुक से आवेदन दिलवा कर भुगतान कराने का प्रयास भी किया था.
वर्ष 2013-14 व 2014-15 की मनरेगा की अधूरी योजनाओं को सरकार के आदेश पर बंद कर दिया गया था. जिनका काम पूरा हो गया था, उसे चेक करने के लिए अभियान चलाया गया था. कार्लूस ने भुगतान के लिए आवेदन दिया था या नहीं और उसे सिंचाई कूप के मद में कितने पैसे मिले थे, जांच करानी होगी. -विष्णुदेव कच्छप, बीडीओ, मांडर

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